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Citizenship Amendment Act 2019: आसान शब्दों में समझिए CAA का पूरा गणित 

 

Desk। Citizenship Amendment Act 2019। मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन दे दिया है। इसी के साथ ही देश में अब CAA लागू हो गया है। वहीं साल 2020 में देशभर में CAA के खिलाफ काफी प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें कानून की कम या गलत जानकारी प्राप्त थी। इसलिए आइए समझते हैं कि CAA लागू होने से क्या कुछ बदलेगा।

आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसी के साथ ही देश में अब CAA लागू हो चुका है। CAA के अमल में आ जाने के बाद अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता भी साफ हो चुका है। साल 2020 में देशभर में CAA के खिलाफ कई प्रदर्शन भी हुए थे।

इन प्रदर्शनों में कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें कानून की कम या फिर गलत जानकारी थी।

तकनीकी तौर पर सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA से सिटीजनशिप एक्ट ऑफ 1955 में संशोधन हुआ है। इससे होगा ये कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन लोगों को नागरिकता मिल जाएगी जो दिसम्बर 31 2014 से पहले किसी न किसी तरह की प्रताड़ना से तंग होकर भारत में आकर रह रहे थे। इससे इन मुस्लिम देशों के अल्पसंख्यक समुदायों को काफी फायदा होगा जिनमें हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भी शामिल हैं।

भाजपा पार्टी के एजेंडा में CAA का काफी पहले से जिक्र होते आया है और मोदी सरकार के पहले कार्यालय में साल 2016 में इसे लोकसभा में पेश किया गया। वहीं यहां से पास होने के बाद इसे राज्यसभा में भेजा गया, लेकिन वहां इसे बहुमत से पास नहीं कराया जा सका। फिर इसके अटकने के बाद इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया।

2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो दोबारा बहुमत जीतने के बाद मोदी सरकार बनी और सरकार बनते ही इसे दोबारा लोकसभा में पास किया गया। दो दिन बाद 9 दिसंबर,2019 को राज्यसभा ने भी इस पर मुहर लग दी। दोनों सदनों में पास होने के बाद CAA को 10 जनवरी,2020 को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। हालांकि, इसके लागू में होने में काफी देरी हो गई और इसकी प्रमुख वजह रही देशभर में होने वाले विरोध प्रदर्शन था।

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भारतीय नागरिकों पर CAA का क्या होगा असर?

सरकार ने अपने बयान में कहा है कि CAA के जरिए मिलने वाली नागिरकत वन-टाइम बेसिस पर ही होगी यानी कि 31 दिसम्बर,2014 के बाद गैर-कानूनी तरीके से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता नहीं मिलेगा। इस कानून के अमल में आने के बाद भारत के किसी भी नागरिक – चाहें वो किसी भी धर्म का हो – की नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं होगा।

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आख़िर CAA की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने ये बताया कि CAA की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक जो दशकों से भारत में आए और देश में बस गए, वे पूर्व-संशोधित नागरिकता कानून के तहत भारतीय नागरिकता हासिल करने में असमर्थ थे। इसके चलते वो भारतीय नागरिकता के कई लाभों से भी वंचित थे. संशोधन के बाद उन्हें अनिश्चित जीवन नहीं जीना होगा।

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