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Join NowWorld Cup 2025: करोड़ों भारतीयों का दशकों पुराना सपना आखिरकार सच हो गया। आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में भारतीय महिला टीम ने इतिहास के पन्नों पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज कर लिया है। नवी मुंबई के खचाखच भरे डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी स्टेडियम में खेले गए इस महामुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों के विशाल अंतर से हराकर पहली बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम कर ली। यह जीत सिर्फ एक मैच की जीत नहीं, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास का सबसे गौरवशाली और अविस्मरणीय पल है, जिसकी पटकथा टीम की तीन महा-नायिकाओं – शेफाली वर्मा, दीप्ति शर्मा और अमनजोत कौर ने अपने अदम्य प्रदर्शन से लिखी।
‘त्रिमूर्ति’ ने दिलाई ऐतिहासिक जीत: शेफाली, दीप्ति और अमनजोत बनीं जीत की नायिकाएं
इस ऐतिहासिक फाइनल में हर खिलाड़ी ने अपना योगदान दिया, लेकिन तीन खिलाड़ियों का प्रदर्शन ऐसा था जिसने दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से जीत छीन ली और भारत को विश्व चैंपियन बना दिया।
1. शेफाली का ‘तूफानी’ ऑलराउंड प्रदर्शन
विस्फोटक सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा ने फाइनल के दबाव को खुद पर हावी नहीं होने दिया और अपनी चिर-परिचित आक्रामक शैली में बल्लेबाजी की। उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुए मात्र 75 गेंदों पर 87 रनों की तूफानी पारी खेली, जिसमें चौकों और छक्कों की बरसात शामिल थी। उनकी इस पारी ने भारत को वह मजबूत शुरुआत दी, जिसकी बड़े मैच में सख्त जरूरत थी। लेकिन शेफाली का काम यहीं खत्म नहीं हुआ। जब गेंदबाजी का मौका आया, तो उन्होंने अपनी स्पिन से भी कमाल दिखाया और दो महत्वपूर्ण विकेट चटकाकर दक्षिण अफ्रीका के मध्यक्रम को कमजोर कर दिया। फाइनल जैसे महामुकाबले में उनका यह ‘डबल धमाल’ प्रदर्शन भारत की जीत की सबसे मजबूत नींव साबित हुआ।
2. दीप्ति शर्मा का ‘पंच’ जिसने तोड़ी अफ्रीका की कमर
भारत की सबसे भरोसेमंद ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा एक बार फिर ‘मैच विनर’ बनकर उभरीं। पहले उन्होंने बल्ले से संघर्ष करते हुए 58 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेलकर भारत को एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुँचाया। लेकिन असली जादू तो उनकी गेंदबाजी में देखने को मिला। जब दक्षिण अफ्रीकी टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए मजबूत दिख रही थी, तब दीप्ति ने अपनी स्पिन के जाल में अफ्रीकी बल्लेबाजों को ऐसा फंसाया कि वे घुटनों पर आ गए। दीप्ति ने 9.3 ओवरों में मात्र 39 रन देकर पांच विकेट (5-Wicket Haul) झटके। उनका यह स्पेल मैच का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बना, जिसने दक्षिण अफ्रीका की पारी को 246 रनों पर समेट दिया और भारत की जीत सुनिश्चित कर दी।
3. मैदान की ‘सुपरवूमन’ अमनजोत कौर की करिश्माई फील्डिंग
क्रिकेट में कहा जाता है कि “पकड़ो कैच, जीतो मैच” (Catches Win Matches), और फाइनल में इस कहावत को अमनजोत कौर ने सच कर दिखाया। जब दक्षिण अफ्रीका की सलामी जोड़ी लॉरा वोलवार्ट और ताजमिन ब्रिट्स खतरनाक होती जा रही थी, तब अमनजोत ने चीते सी फुर्ती दिखाते हुए एक रॉकेट थ्रो पर ताजमिन ब्रिट्स को रन-आउट कर पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। यह भारत को मिला पहला और सबसे महत्वपूर्ण ब्रेकथ्रू था। इसके बाद उन्होंने सेट हो चुकीं दक्षिण अफ्रीकी कप्तान लॉरा वोलवार्ट का एक असंभव सा दिखने वाला डाइविंग कैच लपककर मैच का रुख पूरी तरह से भारत की झोली में डाल दिया। उनके ये दो करिश्माई फील्डिंग मोमेंट्स भारत की जीत में छिपे असली ‘गेम चेंजर’ साबित हुए, जिसने विरोधी टीम की कमर तोड़ दी।
शुरुआत अच्छी, पर अंत हुआ फीका: बिखर गई दक्षिण अफ्रीकी चुनौती
298 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका ने शानदार शुरुआत की थी। कप्तान लॉरा वोलवार्ट और ताजमिन ब्रिट्स ने पहले विकेट के लिए 51 रनों की solide साझेदारी की। ऐसा लग रहा था कि वे मैच को भारत से दूर ले जा सकते हैं, लेकिन अमनजोत के रन-आउट के बाद भारतीय गेंदबाजों ने शानदार वापसी की। सुने लुस (25) और एनेरी डर्कसन (35) ने कुछ संघर्ष दिखाया, लेकिन दीप्ति शर्मा की फिरकी के आगे कोई भी टिक नहीं सका और पूरी टीम 246 रनों पर ढेर हो गई। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि भारत की करोड़ों बेटियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक है। यह उस संघर्ष, मेहनत और लगन का परिणाम है, जो भारतीय महिला टीम ने वर्षों से किया है।














