Yoga for women: तनाव, मोटापा और हार्मोन की गड़बड़ी का एक साथ सफाया, जानें महिलाओं के लिए 2 ‘मास्टर’ योगासन

Published On: September 4, 2025
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Yoga for women: तनाव, मोटापा और हार्मोन की गड़बड़ी का एक साथ सफाया, जानें महिलाओं के लिए 2 'मास्टर' योगासन

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Yoga for women: आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में महिलाएं एक साथ कई भूमिकाएं निभा रही हैं—घर, ऑफिस, परिवार, और इन सबके बीच वे अक्सर अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ कर देती हैं। नतीजा? बढ़ता हुआ तनाव, हार्मोनल असंतुलन, अनियमित पीरियड्स, PCOS की समस्या और शरीर में लगातार रहने वाली थकान। ये वो ‘साइलेंट’ दुश्मन हैं जो धीरे-धीरे हमारी शारीरिक और मानसिक शक्ति को खोखला कर देते हैं।

लेकिन क्या आप जानती हैं कि आपकी इन सभी समस्याओं का समाधान किसी महंगी दवा में नहीं, बल्कि योग के उस प्राचीन ख़ज़ाने में छिपा है जिसे हमारी दादी-नानी सदियों से अपनाती आ रही हैं? योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को जोड़ने का एक विज्ञान है। यह महिलाओं के लिए किसी ‘संजीवनी बूटी’ से कम नहीं है।

तो चलिए, आज योगा एक्सपर्ट नताशा कपूर से जानते हैं उन दो ‘मास्टर’ योगासनों के बारे में, जिन्हें हर महिला को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना ही चाहिए। ये आसन न केवल आपकी बाहरी सुंदरता को निखारेंगे, बल्कि आपको अंदर से शक्तिशाली और शांत बनाएंगे।


1. शशांक-भुजंगासन (Shashank Bhujangasana): तनाव से मुक्ति और ऊर्जा का महा-संगम

यह एक अकेला आसन नहीं, बल्कि दो शक्तिशाली आसनों का एक खूबसूरत प्रवाह है—बालासन (Child’s Pose) और भुजंगासन (Cobra Pose)। यह कॉम्बिनेशन आपके शरीर और दिमाग के लिए एक ‘रीसेट’ बटन की तरह काम करता है।

यह महिलाओं के लिए ‘सुपर पावर’ क्यों है?
यह आसन सीधे आपके नर्वस सिस्टम को शांत करता है, जिससे तनाव और चिंता मिनटों में दूर हो जाती है। यह पेट के अंगों की मालिश करता है, जिससे पाचन सुधरता है और कब्ज़ की समस्या खत्म होती है। साथ ही, यह गर्भाशय और अंडाशय में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health) में सुधार करता है। कमर दर्द और कंधों की जकड़न के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

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करने की विधि (Step-by-Step Guide):

  1. शुरुआत: सबसे पहले वज्रासन में बैठें, फिर पेट के बल योगा मैट पर सीधे लेट जाएं।

  2. टेबल पोज: अब अपने घुटनों और हथेलियों के बल पर शरीर को ऊपर उठाएं, जैसे एक टेबल होती है। ध्यान दें कि आपकी कलाइयां कंधों के ठीक नीचे और घुटने कूल्हों के ठीक नीचे हों।

  3. बालासन की ओर: अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने कूल्हों को पीछे की ओर अपनी एड़ियों पर टिकाएं और माथे को ज़मीन पर लगा दें। यह बालासन या शशांक आसन है। यहाँ एक गहरी सांस लें।

  4. अष्टांग नमस्कार: अब सांस भरते हुए शरीर को आगे की ओर खिसकाएं और अपनी ठोड़ी व सीने को जमीन की तरफ लेकर जाएं। आपके कूल्हे थोड़े ऊपर रहेंगे। ध्यान रखें कि कोहनियां शरीर के पास रहें।

  5. भुजंगासन में प्रवेश: अब सांस धीरे-धीरे अंदर भरते हुए, शरीर को थोड़ा और आगे की तरफ खिसकाएं और छाती को ऊपर उठाएं। यह कोबरा पोज़ यानी भुजंगासन है। अपने कंधों को कानों से दूर रखें और कमर पर ज़्यादा दबाव न डालें।

  6. वापसी: सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने कूल्हों को वापस एड़ियों पर टिकाएं और फिर से बालासन में लौट आएं।

इस प्रवाह को 5-10 बार दोहराएं। आप महसूस करेंगी कि शरीर की सारी जकड़न और मन का सारा तनाव बह गया है।


2. मार्जरी आसन (Marjaryasana): रीढ़ की हड्डी का डॉक्टर और हार्मोन्स का दोस्त

इसे कैट-काउ पोज़ (Cat-Cow Pose) के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन महिलाओं की रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने और हार्मोनल संतुलन को साधने के लिए सबसे बेहतरीन अभ्यासों में से एक है।

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यह महिलाओं के लिए ‘सुपर पावर’ क्यों है?
यह आसन पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों (Pelvic Floor Muscles) को मज़बूती देता है, जो डिलीवरी के बाद और बढ़ती उम्र में बेहद ज़रूरी है। यह पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द में चमत्कारी रूप से राहत देता है। पेट और कमर की चर्बी कम करने के साथ-साथ यह पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है। सबसे बड़ी बात, यह रीढ़ की हड्डी में रक्त संचार को बढ़ाकर उसे स्वस्थ और मज़बूत बनाता है।

करने की विधि (Step-by-Step Guide):

  1. शुरुआती मुद्रा: इसकी शुरुआत भी टेबल पोज से करें। हथेलियां कंधों के नीचे और घुटने कूल्हों के नीचे रखें।

  2. काउ पोज़ (गाय की मुद्रा): सांस भरते हुए, अपनी कमर को नीचे की ओर झुकाएं (जैसे उसमें गड्ढा बन रहा हो), अपनी टेलबोन और सिर को ऊपर आसमान की तरफ उठाएं। अपनी नज़र सामने रखें।

  3. कैट पोज़ (बिल्ली की मुद्रा): अब सांस छोड़ते हुए, अपनी रीढ़ को ऊपर की ओर गोल करें (जैसे एक गुस्साई बिल्ली करती है)। अपनी ठोड़ी को छाती से लगाने की कोशिश करें और अपनी नाभि को देखें।

  4. प्रवाह: सांसों के साथ इस मूवमेंट को तालमेल बिठाते हुए 10-15 बार दोहराएं। हर मूवमेंट को महसूस करें कि आपकी रीढ़ की हड्डी में कैसा खिंचाव आ रहा है।

यह दो सरल लेकिन शक्तिशाली आसन आपकी सेहत की चाबी हैं। इन्हें अपनी ज़िंदगी में शामिल करें और खुद को हर दिन ज़्यादा ऊर्जावान, शांत और स्वस्थ पाएं।


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