India US tariff dispute: 50% टैरिफ़ के बीच भी बनी समझौते की उम्मीद •

Published On: August 28, 2025
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India US tariff dispute: 50% टैरिफ़ के बीच भी बनी समझौते की उम्मीद

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India US tariff dispute: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों पर गहरा असर डालने वाले 50 फ़ीसदी अमेरिकी टैरिफ़ ने दुनियाभर के बाज़ारों को हिला दिया है। लेकिन इतनी बड़ी आर्थिक चुनौती के बावजूद दोनों देशों के बीच ट्रेड डील (Trade Deal) की उम्मीदें अभी भी ज़िंदा हैं।

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिए हैं कि भारत और अमेरिका के रिश्ते भले ही जटिल हों, लेकिन बातचीत का दरवाज़ा अब भी खुला है। वहीं भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने भी कहा है कि समाधान तलाशने के प्रयास जारी हैं।


अमेरिका-भारत विवाद की असली वजह

  • अमेरिका का आरोप है कि भारत रूस से सस्ते दाम पर तेल ख़रीदकर मुनाफ़ा कमा रहा है, जो अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद है।

  • अमेरिका ने पहले भारत पर 25% टैरिफ़ लगाया था, लेकिन 6 अगस्त को रूस से तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त पेनल्टी जोड़ दी गई।

  • अब यह टैरिफ़ कुल 50% हो चुका है, जो 27 अगस्त से लागू हो गया।


भारत की दलील: “अनुचित और अव्यावहारिक”

भारत ने अमेरिकी आरोपों को अनुचित और अव्यावहारिक करार दिया है। भारत का कहना है कि

  • उसके निर्यात पर भारी असर पड़ेगा,

  • लेकिन नए बाज़ार खोजने के प्रयास जारी हैं।

भारत की कोशिश है कि 40 देशों से विशेष संपर्क कर टेक्सटाइल और अपैरल निर्यात को बढ़ावा दिया जाए।


किन उद्योगों पर सबसे बड़ा असर?

  • टेक्सटाइल इंडस्ट्री → 10.3 अरब डॉलर का नुकसान झेल सकती है।

  • लेदर इंडस्ट्री → अमेरिकी खरीदार अब 20% छूट की मांग कर रहे हैं।

  • फार्मा और एनर्जी सेक्टर → अभी टैरिफ़ से बाहर हैं, लेकिन दबाव लगातार बढ़ रहा है।

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GTRI थिंक टैंक के अनुसार, 66% भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा और 2025-26 तक अमेरिका को निर्यात घटकर 49.6 अरब डॉलर रह सकता है।


अमेरिकी बाज़ार पर असर

अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी झटका लगना तय है।

  • ऊँचे टैरिफ़ से अमेरिका में महंगाई और बढ़ सकती है।

  • Nike जैसी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि लागत अरबों डॉलर बढ़ जाएगी।

  • कस्टम चेक और इम्पोर्ट डिले से बाज़ार में सामान की कमी भी हो सकती है।


विशेषज्ञों की राय

  • Nomura का अनुमान है कि भारत की GDP 0.2–0.4% तक गिर सकती है।

  • अमेरिकी महंगाई नियंत्रण की कोशिशें नाकाम हो सकती हैं।

  • दोनों देशों पर पारस्परिक दबाव इतना ज़्यादा है कि समझौता ज़रूरी हो जाएगा।


क्या होगा अगला कदम?

भारत और अमेरिका, दोनों को एहसास है कि वे एक-दूसरे के लिए स्ट्रैटेजिक पार्टनर हैं।

  • भारत अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है।

  • अमेरिका को भी भारत जैसे विशाल लोकतंत्र और तेज़ी से बढ़ते बाज़ार की ज़रूरत है।

इसलिए सवाल सिर्फ़ यही है: क्या 50% टैरिफ़ से रिश्ते बिगड़ेंगे, या यह दबाव एक बड़ी ट्रेड डील की तरफ़ ले जाएगा?

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