Waqf Protest: पश्चिम बंगाल एक बार फिर सुलग रहा है। इस बार वजह बना है वक्फ संशोधन कानून। मुर्शिदाबाद में हिंसा की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि दक्षिण 24 परगना जिले का भांगर इलाका भी सुलग उठा। पुलिस पर हमले हुए, गाड़ियां फूंक दी गईं। लेकिन इस हिंसा के पीछे क्या सिर्फ गुस्सा है या कोई सोची-समझी साजिश? खुफिया एजेंसियों के हाथ जो जानकारी लगी है, वो बेहद चौंकाने वाली है और एक खतरनाक पैटर्न की ओर इशारा कर रही है।
CAA प्रोटेस्ट की हूबहू नकल? सामने आया ‘सीक्रेट टूलकिट’
इंटेलिजेंस एजेंसियों की मानें तो पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में हो रही हिंसा का तरीका ठीक वैसा ही है, जैसा साल 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में अपनाया गया था। ऐसा लगता है मानो किसी पुराने ‘टूलकिट’ को फिर से इस्तेमाल किया जा रहा हो।
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कैसे काम कर रहा है ‘टूलकिट’?
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मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल: प्रदर्शनों को ऑर्गनाइज करने, लोगों को इकट्ठा करने, जिम्मेदारियां बांटने और रियल-टाइम में निर्देश देने के लिए टेलीग्राम, सिग्नल और वॉट्सऐप जैसे ऐप्स का जमकर इस्तेमाल हो रहा है।
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एन्क्रिप्टेड ग्रुप्स: इन्हीं ऐप्स पर बने खुफिया (एन्क्रिप्टेड) ग्रुप्स के जरिए मुर्शिदाबाद में पुलिस स्टेशनों पर सुनियोजित हमले किए गए।
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वही पुराना तरीका: सड़क जाम करना, रेलवे ट्रैक उखाड़ना या नुकसान पहुंचाना, सांप्रदायिक नारे लगाना, पत्थरबाजी, पेट्रोल बम फेंकना – ये सब तरीके CAA विरोध प्रदर्शनों में भी दिखे थे और अब वक्फ विरोध में भी दोहराए जा रहे हैं।
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निशाने पर कौन? भड़काने की साजिश!
खुफिया सूत्रों का कहना है कि प्रदर्शनकारी खास तौर पर हिंदू समुदाय की दुकानों, पुलिस स्टेशनों और रेलवे संपत्ति को निशाना बना रहे हैं। मकसद साफ है – सांप्रदायिक तनाव भड़काना और मीडिया का ध्यान खींचना।
यही नहीं, गुस्सा भड़काने के लिए पुराने वीडियो और फेक न्यूज का भी सहारा लिया जा रहा है। पुलिस की ज्यादती के पुराने वीडियो को एडिट करके मौजूदा घटना बताकर फैलाया जा रहा है। एक वायरल क्लिप में झूठा दावा किया गया कि पुलिस ने नमाज पढ़ रहे लोगों पर गोली चलाई, जिससे मालदा में दंगे भड़क गए थे।
क्या पीछे ‘विदेशी हाथ’ है?
एजेंसियां इस हिंसा में विदेशी ताकतों के हाथ होने की आशंका से भी इनकार नहीं कर रहीं। शक है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI) जैसे आतंकी संगठन बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियार पहुंचा रहे हैं, ट्रेनिंग दे रहे हैं और नफरत फैलाने वाला प्रोपेगेंडा चला रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ संगठन वैश्विक मीडिया का इस्तेमाल कर अफवाहें फैला रहे हैं और अशांति को हवा दे रहे हैं – ठीक वैसे ही जैसे CAA के समय NRC को लेकर मुस्लिमों की नागरिकता छीनने का डर फैलाया गया था। गिरफ्तार हुए प्रदर्शनकारियों को हीरो की तरह पेश करने की कोशिशें भी हो रही हैं। खुफिया एजेंसियों के ये खुलासे बेहद गंभीर हैं और पश्चिम बंगाल में फैली अशांति के पीछे एक बड़ी और संगठित साजिश की ओर इशारा करते हैं।