मीडिया– आज के समय मे आजाद ख्याल की पत्रकारिता को उतना तबज्जूब नही मिलता जितना की चटूखोरीता पत्रकारिता को मिलता है। अब समय वह है जब खबरों का प्रसारण जनता के बीच किसी व्यक्ति विशेष की छवि स्थापित करने के लिये किया जाता है।
आज के दौर के बड़े बड़े समाचार चैनल और समाचार पत्र किसी न किसी के आधिपत्य में रहकर काम कर रहे हैं। ज्यादातर पत्रकार अब वही खबर दिखाना पसन्द करते हैं तो उनके ठेकेदारों को खूब पसंद आये और उनकी हर ओर वाहवाही हो।
आज एक चैनल खबर का प्रसारण खबर के रूप में नही बल्कि एक एजेंडे के तौर पर करता है। जिसका एकमात्र उद्देश्य जनता के बीच एक विशेष व्यक्ति की छवि स्थापित करना और सम्पूर्ण जनमत को एक ओर झुकाना होता है।
यह अपने ठेकेदारों की गलती को भी जनता के सामने ठीक करके प्रस्तुत करते हैं और जनता को बताते हैं कि एक मात्र यही है जो आपके लिए हितकारी नीतियां ला सकता है और आपको कई प्रकार के लाभ दिलवा सकता है।
उदाहरण के लिए अगर हम देखे तो आज के समय मे सत्ताधारी दल की वाहवाही करने से कोई भी समाचार चैनल नही चुकता। वह ऐसा कोई मौका नही छोड़ते जहां वह सत्ताधारी दल की तारीफ न करे। आज सोशल मीडिया से लेकर अपने न्यूज रूम तक मे एक पत्रकार जनता के बीच उन्हीं मुद्दों को उठाते हैं जो जनता के बीच सत्ताधारी दल की सकारात्मक छवि स्थापित कर सके।
आज पत्रकारिता बड़े बड़े कारोबारियों और सत्ताधारी दल की पक्षधर बनकर रह गई है। जिसका एक मात्र उद्देश्य स्वतंत्रता को त्याग कर जनता को वही दिखाना रह गया है जो उनके आका चाहते हैं और जिससे उनके आकाओं की छवि उम्दा स्थापित हो सके। अब अगर हम वास्तव में पत्रकारिता के स्वरूप को समझे तो यह महज एक कठपुतली है जिसे उच्च अधिकारियों द्वारा नचाया जा रहा है।