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क्या होने वाला है पृथ्वी का अंत? इन वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी आपको कर देगी हैरान 

 

डेस्क। इसरो, नासा जैसी स्‍पेस एक्स एजेंसियां मौजूदा वक्‍त में ऐसे ग्रह की खोज में जुटी हैं, जहां भविष्‍य में मानव जीवन संभव हो सके। मौजूदा वक्‍त में सौर मंडल में पृथ्‍वी ही ऐसा ग्रहबचा है, जहां ऐसा वातावरण मौजूद है, जिसमें कोई सांस भी ले सकता है।

साथ ही यहां उपयुक्‍त मात्रा में खाना भी उपलब्‍ध है तब क्‍या भविष्‍य में पृथ्‍वी का अंत हो जाएगा? क्‍या हमारा यह ग्रह भविष्‍य में रहने योग्‍य नहीं रहने वाला। वैज्ञानिकों की मानें तो ऐसा जरूर होगा लेकिन ये आज या कल में नहीं बल्कि 100 करोड़ साल बाद जाकर ऐसा होगा।

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर पहली जीवित चीजें आज से 4 अरब साल पहले दिखाई दी थी और तब हमारा ग्रह विशाल अंतरिक्ष चट्टानों से टकरा भी रहा था, लेकिन जीवन फिर भी कायम रहा और पृथ्वी ने अपने इतिहास में हर तरह की प्रलय देखी है और यहां जीवन काफी लचीला रहा है। अलग-अलग तरह की प्रलय जैसे सुपरनोवा विस्फोटों और एस्‍टेरॉयड का पृथ्‍वी से टकराना व ज्वालामुखी विस्फोट के चलते पृथ्‍वी की जलवायु में अचानक से परिवर्तन आया, जिससे यहां अधिकांश प्रजातियां समाप्त भी हो गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि फिर भी जीवन हमेशा पलटाव करता रहा है। नई प्रजातियां उभरती हैं और यह चक्र चलता ही रहता है।

एस्‍टेरॉयड टकराने से खत्‍म होगी पृथ्‍वी?

2017 में नेचर डॉट कॉम में प्रकाशित सिमुलेशन से यह पता चलता है कि इस तरह पृथ्‍वी को नष्‍ट करने के लिए वास्तव में एक विशाल अंतरिक्ष चट्टान की जरूरत पड़ेगी। पृथ्वी पर सभी जीवन को नष्ट करने के लिए एक ऐसे प्रभाव की आवश्यकता होगी जो सचमुच महासागरों को उबाल कर रख दे। इस बात के प्रमाण हैं कि पृथ्वी थिया नामक एक बड़े ग्रह से टकराई थी, पर अब इतनी बड़ी वस्तुओं के टकराने की संभावना बेहद ही कम है।

क्‍या डीऑक्सीजनेशन से खत्‍म होगी पृथ्‍वी?

पृथ्‍वी पर हर कोई ऑक्सीजनेशन की वजह से जिंदा है और अगर यह खत्‍म हो गई तो पृथ्‍वी से जीवन अपने आप ही खत्‍म भी हो जाएगा। लगभग 2.5 अरब साल पहले, ग्रेट ऑक्सीडेशन इवेंट नामक एक घटना ने हमें पृथ्‍वी पर सांस लेने योग्य वातावरण दिया था और अब हम सभी इसपर ही निर्भर हैं। सायनोबैक्टीरिया के विस्फोट, जिसे कभी-कभी नीला-हरा शैवाल भी बोला जाता है, ने पृथ्‍वी के वायुमंडल को ऑक्सीजन से भर दिया था जिससे एक ऐसी दुनिया का निर्माण हुआ, जहां जीवन पनप पाया।

क्या डीऑक्सीजनेशन की घटना फिर से हो सकती है? 

एक नेचर कम्युनिकेशन अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं का यह कहना है कि जलवायु परिवर्तन पहले से ही हमारे महासागरों में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देता है, जिससे संभावित रूप से समुद्री प्रजातियां खत्म भी हो रही हैं।

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