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पोस्ट ऑफिस की ये बचत योजना आपके लिए काफी फायदेमंद 

 

डेस्क। बहुत सारे लोग हर महीने बचत करने और निवेश के माध्यम के तौर पर लघु बचत योजनाओं (Small Saving Schemes) को काफी पसंद करते हैं। खासकर पोस्ट ऑफिस की लघु बचत योजनाएं (Post Office Saving Schemes) लोगों को बचत व निवेश के बेहतर विकल्प को प्रदान करती हैं, इसी कारण इन्हें खूब पसंद भी किया जाता है।

अब इन योजनाओं में निवेश से जुड़े नियमों में एक बड़ा बदलाव किया गया है वहीं ये बदलाव पोस्ट ऑफिस स्कीम्स के लिए हैं।

डाक विभाग ने जारी किया है सर्कुलर

डाक विभाग ने इस संबंध में हाल ही में एक सर्कुलर भी जारी किया है। इसी सप्ताह जारी सर्कुलर में डाक विभाग ने लघु बचत योजनाओं में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए केवाईसी (KYC) यानी ‘अपने ग्राहक को जानें’ प्रावधानों में बदलाव भी किए है। इन बदलावों के तहत पोस्ट ऑफिस की योजनाओं में बड़ा निवेश करने वालों के लिए प्रावधानों को और कठिन बनाया गया है।

केवाईसी के साथ देना होगा ये सबूत

अब अगर कोई इन्वेस्टर डाक घर की योजनाओं में 10 लाख रुपये या ज्यादा निवेश करता है तो उसे केवाईसी के कागजातों के तौर पर कमाई का सबूत (Income Proof) भी देना पड़ेगा। साथ ही डाक विभाग ने इसे लेकर सभी डाक घरों से बोला है कि वे छोटी बचत योजनाओं की एक निश्चित श्रेणी के निवेशकों से कमाई का सबूत जरूर लें और यह बदलाव मनी लॉन्ड्रिंग पर टेरर फाइनेंस पर रोकथाम लगाने के लिए किया गया है। साथ ही अब इन मामलों में निवेशकों को पैन और आधार के साथ इनकम प्रूफ भी लगाना होगा।

3 श्रेणियों में बांटे गए हैं इन्वेस्टर्स

सर्कुलर में डाक विभाग ने इन्वेस्टर्स को 3 श्रेणियों में बांटा गया है। इन्वेस्टर्स को जोखिम के आधार पर श्रेणियों में भी बांटा गया है। अगर कोई इन्वेस्टर 50 हजार रुपये के साथ किसी भी स्कीम में खाता खुलवाता है और पोस्ट ऑफिस की सभी योजनाओं में उसका बैलेंस 50 हजार रुपये से ज्यादा का नहीं होता तो उन्हें कम जोखिम वाला इन्वेस्टर भी माना जाएगा।

उच्च जोखिम श्रेणी पर लागू कड़े नियम

इसी तरह 50 हजार रुपये से ज्यादा लेकिन 10 लाख रुपये से कम रकम के साथ अकाउंट खुलवाने वाले ग्राहकों को मध्यम जोखिम श्रेणी में भी शामिल किया जाएगा। साथ ही अगर सभी योजनाओं को मिलाकर बैलेंस 10 लाख रुपये से कम हो लेकिन 50 हजार से ज्यादा हो तो भी मध्यम श्रेणी में ही इसे रखा जाएगा। वहीं रकम 10 लाख या इससे ज्यादा होते ही संबंधित ग्राहक को उच्च जोखिम श्रेणी में माना जाएगा और उनके ऊपर कड़े प्रावधान भी लागू होंगे।

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