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अब आपका फ़ोन हो गया है चोरी तो इस पोर्टल के जरिए करें ट्रेस 

 

डेस्क। अगर आपका फोन गुम हो गया या चोरी हो गया हो, तो अब बिल्कुल टेंशन मत लीजिए। अब आप घर बैठे अपने गुम हुए फोन को न सिर्फ ब्लॉक कर सकेंगे बल्कि उसे ट्रैक भी कर पाएंगे। साथ ही लोगों की सुविधा के लिए दूरसंचार विभाग ने मंगलवार को संचार साथी पोर्टल (Sanchar Saathi portal) को लॉन्च भी कर दिया है।

इसके अलावा इस पोर्टल के जरिए लोग अब पूरे भारत में अपने खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक और ट्रैक कर पाएंगे। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि संचार साथी पोर्टल के जरिए आप डिवाइस को खरीदने से पहले उसे ब्लॉक, ट्रैक और उसका वेरिफिकेशन भी कर पाएंगे।

वैष्णव ने बोला है “संचार साथी पोर्टल का पहला चरण CEIR (सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर) है। और आप अपना मोबाइल फोन भी खो देते हैं, तो आप इस पोर्टल पर भी जा सकते हैं। 

 कुछ आइडेंटिटी वेरिफिकेशन से गुजरना होगा और इसके तुरंत बाद पोर्टल लॉ एजेंसी और टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के साथ बातचीत करेगा और खोए हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक भी करेगा।”

पोर्टल पर ‘नो योर मोबाइल’ की सुविधा है, जो यूजर को पुराना फोन खरीदने से पहले उसका वेरिफिकेशन भी कर सकेंगे, यह चेक कर सकेंगे कि फोन सही है या नहीं या फोन चोरी का तो नहीं है या किसी अपराधम में इसका इस्तेमाल भी नहीं किया गया।

चेक कर सकेंगे यूजर के नाम पर कितने हैं मोबाइल नंबर

संचार साथी पोर्टल पर TAFCOP की सुविधा भी है, जिससे लोगों को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि क्या उनकी अनुमति या जानकारी के बिना उनके नाम पर अन्य मोबाइल नंबर काम भी कर रहे हैं। इसके साथ ही यह क्लोन किए गए फोन के इस्तेमाल पर भी लगाम लगाएगा। संचार साथी के फीचर्स को सी-डॉट द्वारा डेवलप करा गया है।

फोन क्लोनिंग पर लगेगी लगाम

सरकार ने भारत में मोबाइल डिवाइसेस की बिक्री से पहले आईएमईआई का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है जो मोबाइल डिवाइसेस की 15 अंकों की यूनिक पहचान संख्या होती है और मोबाइल नेटवर्क के पास स्वीकृत IMEI नंबरों की लिस्ट तक पहुंच भी होगी जो उनके नेटवर्क पर किसी भी अनधिकृत मोबाइल फोन के प्रवेश की जांच करेगा।

टेलीकॉम ऑपरेटरों और CEIR सिस्टम के पास डिवाइस के IMEI नंबर और उससे जुड़े मोबाइल नंबर में विजिबिलिटी दी होगी और CEIR के माध्यम से आपके खोए या चोरी हुए मोबाइलों को ट्रैक करने के लिए कुछ राज्यों में जानकारी का उपयोग भी किया जा रहा है।

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