डेस्क। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह विवाद में सर्वाधिक महत्वपूर्ण 300 से अधिक मूर्तियों व शिलालेख के अवशेष भी हैं वहीं जो कि जन्मस्थान की 1953 में शुरू हुई खुदाई में उसी जमीन से मिले भी हैं और जिस पर मंदिर होने का दावा भी किया जा रहा है।
वहीं ये मूर्तियां और शिलालेख श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर विशेष कक्ष में ताला लगाकर भी रखे गए हैं।
मथुरा के प्राचीन काल से ही विशेष सभ्यताओं के लिए भी जाना जाता था। वहीं यहां के संग्रहालय में भी इन सभ्यताओं से जुड़ी विभिन्न मूर्तियों को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग भी आते हैं। साथ ही कटरा केशव देव की जिस 13.37 एकड़ जमीन पर वादकारियों द्वारा दावा भीं किया जा रहा है और औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर ईदगाह बनाई है। इसी परिक्षेत्र में जब टीलेनुमा जमीन की खुदाई की गई तो बहुत सी मूर्तियां भी मिलीं।
साथ ही इन मूर्तियों में से मात्र सात मूर्तियां ही मथुरा के संग्रहालय में हैं साथ ही बाकी मूर्तियां व खुदाई में मिले मूर्तियों व शिलालेखों के अवशेष अभी भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान के पास मौजूद हैं। साथ ही संस्थान द्वारा उन्हें बहुत ही संभालकर रखा गया है। और इन सबको विशेष कमरे में संरक्षित करके भी रखा गया है।
इसी कड़ी में खुदाई में निकली मूर्तियां तथा अभिलेख को सुरक्षित रखने में मंदिर प्रशासन कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। वहीं समय-समय पर मंदिर प्रबंधन द्वारा इस कक्ष की तरह साफ-सफाई भी कराई जाती है।
विशेष कक्ष के अंदर ही इधर से उधर भी रख दिया जाता है। वहीं संग्रहालय में जो मूर्तियां संरक्षित हैं, उनमें विश्वरूप विष्णु की मूर्ति भी प्रमुख है। इसी कड़ी में इस विश्वरूप विष्णु की मूर्ति का टूटा हुआ एक चौथाई हिस्सा भी है।
संग्रहालय के उप निदेशक डॉ.यशवंत सिंह राठौर ने यह बताया कि संग्रहालय में कटरा केशव देव से निकली सात मूर्तियां हैं और जिनमें विश्वस्वरूप विष्णु, गंगा मां, बुद्ध, द्वार तोरण स्तंभ, ऋषभ नाथ, कार्तिकेय नाथ अग्निदेव, स्त्री-पुरुष आकृति के तोरण भी हैं।