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जानिए नई सांसद में क्या है खास 

 

 

डेस्क। नई संसद की नींव का पत्थर पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को रख दिया था और इसके बाद जनवरी 2021 में इसका काम भी शुरू हो गया था। नई संसद मौजूदा संसद भवन के बिल्कुल बराबर में मौजूद है। इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया भी गया है जबकि इसका डिजाइन अहमदाबाद बेस्ड बिमल पटेल के अंडर में HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट द्वारा ही किया गया है।

तो आइए जानते हैं नई और पुरानी संसद में कितना अंतर

है। नई संसद की इमारत में पुरानी संसद के मुकाबले ज्यादा सांसद आ सकते हैं और नई संसद के लोकसभा में 888 सांसदो के एक साथ बैठने की व्यवस्था की गई हैं। राज्यसभा में 300 सांसद एक साथ बैठ सकते हैं वहीं मौजूदा संसद में 543 लोकसभा और 250 राज्यसभा सांसदों के एकसाथ बैठने की व्यवस्था की गई है।

नई संसद की इमारत 64,500 स्क्वायर मीटर में फैली हुई होगी जबकि पुरानी संसद एक गोलाकार भवन है, जो 560 फीट डायामीटर की है, इसकी परिधि 536.33 मीटर है और यह लगभग 24,281 वर्ग मीटर क्षेत्र को कवर भी करती है।

संसद की नई इमारत में पुरानी इमारत की तरह सेंट्रल हॉल नहीं होगा और ये सेंट्रल हॉल की जगह पर लोकसभा चैंबर का इस्तेमाल संयुक्त सत्रों के लिए किया भी जाएगा।

सेंट्रल विस्टा वेबसाइट के अनुसार, पुरानी इमारत में फायर सेफ्टी एक बड़ा विषय था क्योंकि यह वर्तमान फायर सेफ्टी नियमों के हिसाब से डिजाइन भी नहीं की गई थी। इसमें कई इलेक्ट्रिक केबल्स लगाई गई थीं और जिस वजह से इसमें आग लगने का खतरा था। नई इमारत में अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें मतदान में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स, डिजिटल भाषा अनुवाद सिस्टम और माइक्रोफोन भी शामिल किए गए हैं।

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