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इन कैमिकल फ्री कलर्स के साथ मनाएं होली

 

 

डेस्क। होली को लेकर बाजार में तरह तरह के केमिकल से बने अबीर मिलते है। जिससे की हमारी त्वचा को बेहद नुकसान होता है। इसके साथ ही इसे छुड़ाना भी बेहद मुश्किल होता है। पर अब आ गया है ऐसा हर्बल अबीर जिसे लगाना है मुश्किल पर छुड़ाना बहुत ही आसान है।

 होली का त्योहार काफी नजदीक है। इस त्योहार में लोग एक दूसरे को रंग अबीर लगाकर मनाते है और बाजार में कई तरह के रंग और अबीर उपलब्ध भी है। जिसे लगाने के बाद लोग छुड़ा तक नही पाते। मगर पलामू जिले में महिलाएं खास तरह से हर्बल अबीर को तैयार कर रही है जो की पूरी तरह से नेचुरल है। इतना हीं नहीं इस अबीर को लगाने में जितना मेहनत कर लें उसे छुड़ाना उतना हीं आसान होता है।

बता दें दिन दयाल अंत्योदय योजना के तहत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर के सरकारी बस डिपो समीप 30 से 35 सखी दीदी मिलकर हर्बल अबीर को तैयार कर रही है। यह अबीर पूरी तरह नेचुरल है और इससे त्वचा को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता।

मंजू देवी ने बोला है कि इस अबीर को तैयार करने में काफी मेहनत लगती है वहीं अबीर लगाने के दौरान हमलोग पूरा अबीर के रंग से रंग जाते है। पर घर जाकर कपड़ा से साफ करते हीं तुरंत छूट जाता है। यह अबीर पूरी तरह केमिकल रहित होती है जो की बाजार में 300 रुपए किलो पर उपलब्ध है।

ऐसे किया गया तैयार

एक सहायिका ने बताया इसे बनाने में काफी मेहनत लगती है। जिसके लिए दीदियां सुबह उठते हीं फूल इकठ्ठा करने के लिए निकल जाती है। कुछ दीदियां अपने घर और आस पास से पलास के फूल लाती है तो कुछ मंदिरों में घूम घूम कर फूल इकठ्ठा करती है। इसके बाद सभी फूलों को अलग किया जाता है और फूल को पतीले में पानी के साथ मिलाकर एक निश्चित ताप पर गर्म करा जाता है। गर्म करने की प्रक्रिया 15 से 20 मिनट तक चलती है।

गर्म करने के बाद उसे ठंडा करने के लिए रख दिया जाता है। वहीं ठंडा होने के बाद फूल रस को सूती कपड़े में छानकर अलग कर लिया जाता है और इसके बाद बाजार से आरारोट लाकर उसमें मिक्स किया जाता है।

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इसमें काफी मेहनत लगती है। 1 से दो घंटा इसे मिक्स किया जाता है जिसके बाद उसे किसी कपड़े में फैलाकर छत के नीचे सूखने रख दिया जाता है।अबीर को बारीक बनाने के लिए तीन से चार लोग मिलकर सूती के कपड़े पर मलते है और इससे पहले तैयार अबीर को 6 से 7 घंटे तक सुखाया जाता है।

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इसे मलने के बाद उसमें सेंट लाने के लिए उसमें रजनीगंधा, केवड़ा, गुलाब चंदन आदि को मिक्स किया जाता है जिसके बाद उसे 100, 200 और 500 ग्राम के पैकेट भी तैयार किए जाते है।

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