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क्या सरकार आपसे छीन सकती है निजी संपत्ति 

 

 

डेस्क। Supreme Court on Inheritance Tax: विश्व असमानता डेटाबेस की हालिया स्टडी में यह बोला गया है कि भारत में धन असमानता अब ब्रिटिश शासन की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ गई है। इसे लेकर संसद संभावित रूप से ‘संपत्ति कर’ लागू कर सकती है, जहां एक निश्चित नेट वर्थ वाले लोगों को उनकी संपत्ति का 2% टैक्स (Wealth Tax) भी देना पड़ेगा।

डेस्क। देश में इन दिनों विरासत एक्ट (Inheritance Tax) पर बहस छिड़ी हो रही है। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के अमेरिका में विरासत टैक्स वाले बयान के बाद बीजेपी कांग्रेस पर लगातार हमलावर भी है। तो वहीं कांग्रेस ने यह उनका निजी बयान बोलकर किनारा भी कर लिया है।

बीजेपी कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रही है। साथ ही विरासत कर वाले बयान को लेकर बीजेपी का यह कहना है कि लोगों की निजी संपत्ति को अल्पसंख्यकों को बांट देने की प्लानिंग की जा रही है और इसी बीच सवाल यह है कि क्या  39(बी) सरकार को आपकी निजी संपत्ति पर भी कब्जा करने का अधिकार देता है। बता दें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले पर सुनवाई कर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित रख लिया।

1992 में दायर किए गए संपत्ति विवाद के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की फिर से व्याख्या करने की जरूरत को महसूस किया है। आमतौर पर राज्य पॉलिसी के डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स अदालत के कानून द्वारा अप्रवर्तनीय भी होते हैं।

संविधान सभा के एक सदस्य ने तो पूरे हिस्से को ‘भावनाओं का कूड़ादान’ तक बोल दिया था लेकिन अनुच्छेद 39(बी) अलग है। इसे अनुच्छेद 31 सी द्वारा रेखांकित किया गया है, जो यह बताया है कि अनुच्छेद 39 (बी) को आगे बढ़ाने में संसद से बना कानून अमान्य नहीं है, वहीं भले ही इससे समानता और व्यापार की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता हो. पर बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने दोनों प्रावधानों के बीच संबंध भी एक बड़ा मुद्दा है।

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विश्व असमानता डेटाबेस की हालिया स्टडी में यह कहा गया है कि भारत में धन असमानता अब ब्रिटिश शासन की तुलना में काफी ज्यादा है। इसे लेकर संसद संभावित रूप से ‘संपत्ति कर’ लागू कर सकती है, जहां एक निश्चित नेट वर्थ वाले लोगों को उनकी संपत्ति का 2% टैक्स भी देना होगा। क्यों कि यह  समानता, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यापार की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, इस कानून को चुनौती देना बेकार होगा, क्योंकि अनुच्छेद 39(बी),अनुच्छेद 31सी के द्वारा समर्थित है।

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अनुच्छेद 39(बी) पर गांधीवादी दृष्टिकोण

इस मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह कहा था कि अनुच्छेद 39(बी) की व्याख्या पूरी तरह से कम्युनिस्ट या समाजवादी अर्थ में नहीं करी जा सकती। उन्हें इस प्रावधान में गांधीवादी सोच भी नजर आई है। इसीलिए संभावना जताई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 39(बी) की ज्यादा बारीकी से व्याख्या करेगा और निजी संपत्ति को पूरी तरह से छोड़ा नहीं जा सकता, लेकिन कुछ तरह की निजी संपत्ति को ट्रस्ट के रूप में घोषित जरूर किया जा सकता है।

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