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Join NowMukhyamantri Ayushman: जब किसी घर में कोई बच्चा बीमार होता है, तो पूरा परिवार दुखी हो जाता है। और अगर बीमारी “दुर्लभ” (Rare Disease) हो, जिसका इलाज लाखों-करोड़ों में होता है, तो माता-पिता की उम्मीदें टूटने लगती हैं। लेकिन अब राजस्थान के निवासियों को घबराने की जरूरत नहीं है। राजस्थान सरकार ने एक मानवीय और क्रांतिकारी पहल करते हुए “मुख्यमंत्री आयुष्मान संबल योजना” (Mukhyamantri Ayushman Sambal Yojana) की शुरुआत की है।
यह योजना उन माता-पिता के लिए उम्मीद की एक नई किरण है, जो अपने बच्चों के महंगे इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अपने बच्चे के लिए 50 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज और 5,000 रुपये की मासिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
योजना का परिचय: सरकार बनी परिवार का सहारा
मुख्यमंत्री आयुष्मान संबल योजना का मुख्य उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के उन बच्चों का जीवन बचाना है, जो गंभीर और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं। अक्सर देखा गया है कि ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी’ या ‘मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ जैसी बीमारियों के इंजेक्शन और दवाइयां इतनी महंगी होती हैं कि आम आदमी तो क्या, अमीर भी इसका खर्च नहीं उठा पाते।
ऐसे में सरकार ने तय किया है कि:
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50 लाख रुपये तक की मदद: दुर्लभ बीमारियों के इलाज, दवाइयों और ऑपरेशन के लिए सरकार 50 लाख रुपये तक का खर्च उठाएगी।
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मासिक पेंशन: बीमारी के दौरान पोषण और देखभाल के लिए परिवार को हर महीने 5,000 रुपये सीधे बैंक खाते (DBT) में दिए जाएंगे।
क्या आप पात्र हैं? (Eligibility Criteria)
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ जरूरी शर्तें रखी गई हैं, जो बेहद सरल हैं:
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उम्र सीमा: बच्चे की उम्र 0 से 18 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
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निवास प्रमाण: बच्चा राजस्थान का मूल निवासी (Bonafide Resident) हो या उसका परिवार पिछले 3 साल से लगातार राजस्थान में रह रहा हो।
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मेडिकल रिपोर्ट: बीमारी की पुष्टि राज्य के सरकारी मान्यता प्राप्त अस्पतालों द्वारा होनी चाहिए।
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आय सीमा: सबसे अच्छी बात यह है कि इस योजना में आय की कोई बाध्यता (No Income Limit) नहीं बताई गई है, यानी बीमारी की गंभीरता ही सबसे बड़ा पैमाना है।
कौन सी बीमारियां हैं शामिल? (List of Covered 56 Rare Diseases)
अक्सर लोग गूगल पर सर्च करते हैं कि “क्या मेरे बच्चे की बीमारी इस योजना में कवर है?”। सरकार ने इसमें 56 दुर्लभ बीमारियों को शामिल किया है। इनमें से कुछ प्रमुख बीमारियां नीचे दी गई हैं:
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स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA)
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ड्युशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD)
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थैलेसीमिया या हीमोफीलिया से जुड़ी गंभीर स्थिति (अगर दुर्लभ श्रेणी में है)
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सिस्टिक फाइब्रोसिस
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विल्सन डिज़ीज़
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टर्नर सिंड्रोम और नूनन सिंड्रोम
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किडनी से जुड़े दुर्लभ रोग (ARPKD/ADPKD)
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ग्रोथ हार्मोन की कमी
(पूरी 56 बीमारियों की लिस्ट आप नीचे दिए गए सेक्शन में देख सकते हैं या आधिकारिक नोटिफिकेशन में चेक कर सकते हैं)
आवेदन कैसे करें? (Step-by-Step Online Application)
इस योजना का लाभ लेने के लिए आपको सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी है:
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ऑनलाइन अप्लाई: पालनकर्ता (माता-पिता/अभिभावक) को ई-मित्र (E-Mitra) पर जाकर या अपनी SSO ID के माध्यम से आवेदन करना होगा।
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डाटा ऑटो-फिल: जैसे ही आप जन आधार (Jan Aadhaar) नंबर डालेंगे, सारी जानकारी अपने आप भर जाएगी।
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दस्तावेज़: आपको बीमारी की पुरानी रिपोर्ट, बच्चे और अभिभावक का आधार कार्ड और बैंक पासबुक अपलोड करनी होगी।
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वेरिफिकेशन: आवेदन सीधे आपके जिले के CMHO के पास जाएगा। वहां से अप्रूवल मिलने के बाद, बच्चे को AIIMS जोधपुर (AIIMS Jodhpur) या जेके लोन अस्पताल जयपुर (JK Lon Hospital) रेफर किया जाएगा।
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फाइनल अप्रूवल: बड़े अस्पताल (Centre of Excellence) से बीमारी का प्रमाण पत्र जारी होते ही, पोर्टल ऑटोमेटिकली आर्थिक सहायता मंजूर कर देगा।
भुगतान की प्रक्रिया: कोई बिचौलिया नहीं!
भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) का तरीका अपनाया है।
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इलाज का पैसा (50 लाख तक) सीधे अस्पताल के खाते में या दुर्लभ बीमारी कोष (Rare Disease Fund) से मैनेज होगा।
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5,000 रुपये की मासिक सहायता राशि सीधे पालनकर्ता के लिंक किए गए बैंक खाते में हर महीने एक तय तारीख को आ जाएगी।
हर साल वेरिफिकेशन जरूरी (Annual Verification Process)
धोखाधड़ी से बचने और सही बच्चों तक मदद पहुंचाने के लिए सरकार ने सालाना सत्यापन का नियम रखा है।
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हर साल नवंबर-दिसंबर में पालनकर्ता को यह साबित करना होगा कि बच्चा जीवित है और इलाज चल रहा है।
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अगर आपने राशन या पेंशन के लिए बायोमेट्रिक दिया है, या बच्चा पिछले 3 महीने में AIIMS/JK Lon अस्पताल गया है, तो अलग से वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं है।
पालनकर्ता बदलने का नियम
भगवान न करे, अगर बच्चे के माता-पिता की मृत्यु हो जाए या वे बच्चे को छोड़ दें, तो जिला कलेक्टर (District Collector) तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। बच्चे के सबसे नजदीकी रिश्तेदार को नया पालनकर्ता (Guardian) बनाया जाएगा और सहायता राशि उनके खाते में ट्रांसफर होने लगेगी।
मुख्यमंत्री आयुष्मान संबल योजना राजस्थान सरकार की एक ऐसी पहल है जो पैसे की कमी के कारण किसी बच्चे की जान नहीं जाने देगी। यह योजना साबित करती है कि हर बच्चे की जान कीमती है। अगर आपके आसपास कोई ऐसा बच्चा है जिसे दुर्लभ बीमारी है, तो आज ही इस योजना के तहत आवेदन करवाएं और एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाएं।















