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Join NowPitru paksha: पितृपक्ष… 16 दिनों की यह अवधि जब हम श्रद्धा और सम्मान के साथ अपने पूर्वजों को याद करते हैं। लेकिन अगर इसी दौरान किसी घर में बच्चे की किलकारी गूंजे, तो अक्सर खुशी के साथ मन में एक अनजाना सा डर भी घर कर जाता है। समाज में एक आम धारणा है कि श्राद्ध के दिनों में जन्मा बच्चा परिवार के लिए अशुभ होता है या उस पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
लेकिन क्या यह सच है? या फिर यह एक ऐसा गहरा रहस्य है जिसे हम आज तक समझ ही नहीं पाए? वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो पितृपक्ष में जन्मा बच्चा कोई साधारण आत्मा नहीं, बल्कि स्वयं पूर्वजों का वरदान और उनका आशीर्वाद लेकर धरती पर आता है। यह बच्चे अपने साथ सौभाग्य लेकर आते हैं।
आइए, इस सदियों पुरानी मान्यता के पीछे छिपे सच से पर्दा उठाते हैं और पितृपक्ष में जन्म लेने वाले ये ‘विशेष’ बच्चे इतने खास क्यों होते हैं और क्या होती हैं इनके व्यक्तित्व की अनोखी बातें।
आखिर क्यों होता है पितृपक्ष में इन विशेष आत्माओं का जन्म?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कोई आत्मा अपने अधूरे कर्म या अधूरी इच्छाओं के साथ देवलोक जाती है, तो उसे अपनी इच्छा पूरी करने का एक अवसर दिया जाता है। ऐसी पवित्र आत्माएं जो अपने परिवार से गहरा लगाव रखती हैं, अक्सर अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने या अपने परिवार को कुछ देने के लिए, उसी कुल में एक बच्चे के रूप में दोबारा जन्म लेने की इच्छा प्रकट करती हैं।
विशेषकर वो आत्माएं जिनकी अकाल या कम उम्र में मृत्यु हो जाती है, उनके मन में कई सपने और इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं। वही इच्छाएं उन्हें अपने परिवार की ओर वापस खींच लाती हैं। इसलिए, पितृपक्ष में जन्मा बच्चा असल में आपका ही कोई प्रिय पूर्वज हो सकता है जो आशीर्वाद देने लौटा है।
1. परिवार की ‘जड़’ होते हैं ऐसे बच्चे (गहरा पारिवारिक लगाव)
इन बच्चों के लिए उनका परिवार ही उनकी दुनिया होता है। पितृपक्ष में जन्मे बच्चे अपने परिवार के साथ एक बहुत ही गहरा और आत्मिक लगाव रखते हैं। दुनिया में चाहे वे कितने भी सफल क्यों न हो जाएं, उनका यह प्रेम और सम्मान कभी कम नहीं होता। वे किसी भी कठिन परिस्थिति में अपने परिवार का साथ ढाल बनकर देते हैं और हमेशा उनकी खुशी को प्राथमिकता देते हैं। कई बार परिवार के प्रति यही गहरा प्रेम उन्हें ‘होम सिक’ भी बना देता है, यानी वे अपने घर-परिवार से ज़्यादा दिन दूर नहीं रह पाते।
2. उम्र छोटी, तजुर्बा बड़ों वाला (तेज और परिपक्व दिमाग)
यह इन बच्चों का सबसे हैरान कर देने वाला गुण है। पितृपक्ष में जो बच्चे जन्म लेते हैं, उनका दिमाग अपनी उम्र के बच्चों की तुलना में कई गुना ज़्यादा तेज और परिपक्व (mature) होता है। आप एक 10 साल के बच्चे से बात करेंगे और आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आप किसी 50 साल के अनुभवी व्यक्ति से सलाह ले रहे हैं। इनका सोचने का नज़रिया बिल्कुल अलग होता है और वे हर बात की गहराई तक जाते हैं। वे अक्सर ऐसी बातें भी जान और समझ जाते हैं जो उनकी उम्र के बच्चों के लिए समझना लगभग नामुमकिन होता है।
3. पूर्वजों का ‘सुरक्षा कवच’ और सफलता की गारंटी
पितृपक्ष के दिनों में जन्मे बच्चे हमेशा अपने कुल और परिवार के लिए शुभ माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन बच्चों पर साक्षात इनके पूर्वजों का हाथ होता है और उनका आशीर्वाद एक अदृश्य ‘सुरक्षा कवच’ की तरह हमेशा इनकी रक्षा करता है।
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अद्भुत रचनात्मकता: ये बच्चे बहुत क्रिएटिव होते हैं और कला, संगीत या किसी अन्य रचनात्मक क्षेत्र में बहुत नाम कमाते हैं।
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अटूट आत्मविश्वास: इनकी बौद्धिक क्षमता और आत्मविश्वास गज़ब का होता है। वे जो करने की ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं।
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पितरों से मिलते-जुलते गुण: अक्सर यह भी देखा गया है कि इन बच्चों की कोई आदत, उनका चेहरा या उनका कोई विशेष गुण, परिवार के किसी स्वर्गवासी पितर से हूबहू मिलता है।
यह बच्चे अपने जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों को छूते हैं और कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखते। तो अगर आपके घर में भी किसी बच्चे का जन्म श्राद्ध की अवधि में हुआ है, तो खुद को भाग्यशाली समझिए, क्योंकि आपके घर में स्वयं आपके पूर्वजों का आशीर्वाद एक बच्चे के रूप में मौजूद है।