धर्म

What To Do With Flowers Got From Temple: मंदिर में मिले फूल का क्या करें 

 

डेस्क। : What To Do With Flowers Got From Temple- सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा रोली, चंदन, फल, मिठाई और फूलों के इस्तेमाल से पूरी होती है। हर देवी-देवता को कोई न कोई फूल बहुत ही प्रिय होता है, इसलिए भगवान को प्रसन्न करने के लिए घर या मंदिर में भक्‍त उनके प्रिय फूल अर्पित करते हैं। 

 कई बार जब हम मंदिर जाते हैं तो पुजारी भगवान को चढ़ाए गए फूल हमें प्रसाद के रूप में देते हैं। भगवान के मंदिर में उनपर चढ़ाया हुआ फूल मिलना कई लोग सौभाग्य (Astro Upay) nhi मानते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल रहता है कि प्रसाद के रूप में मिले फूलों का क्या करें (What To Do With Flowers Got From Temple) । ज्यादातर लोग मंदिर में मिले फूल को घर ले आते हैं और किसी कोने में उसे रख देते हैं पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। शिव पुराण, स्कंद पुराण और लिंग पुराण में इस बारे में विस्तार से चर्चा की गई है कि मंदिर में मिले फूल का किस तरह से इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ…

 

What To Do With Flowers Got From Temple: फूल मिले तो करें ये काम

मंदिर में मिले पूजा के इन फूलों को गलत जगह पर रखने या गलत तरीके से इस्तेमाल करना नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और इसकी वजह से आप पाप के भागीदार भी बन सकते हैं। अगर आपको मंदिर के पुजारी फूल दें, तो उसे अपनी आंखों में लगाएं और इसके बाद अपने हृदय में लगाकर कानों के ऊपर थोड़ी देर के लिए रखें। अब इसके बाद आप चाहे तो इसे जल में प्रवाहित कर दें या फिर घर ले जाएं। आपको इससे भगवान का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी भी होती हैं।

What To Do With Flowers Got From Temple: क्या कहता है शिव पुराण

शिव पुराण के अनुसार, मंदिर में मिले फूल को कानों में इसलिए लगाया जाता है, क्योंकि भगवान के प्रवेश का सबसे बड़ा द्वार कर्ण यानी की कान होते है और आप कान के द्वारा ही कथाएं आदि भी सुनते हैं। ऐसे में आपके अंदर देवी-देवताओं के प्रति आस्था उत्पन्न होती है और फिर आप उनके दर्शन करने के लिए मंदिर भी जा सकते हैं। इसके अलावा शास्त्रों में कर्ण का विशेष महत्व है और सोलह श्रृंगार से लेकर सोलह संस्कार में कर्ण शामिल है। आपको बता दें कि सोलह श्रृंगार में कानों में आभूषण पहनना शुभ माना जाता है और इसी तरह सोलह संस्कार में से एक कर्ण छेदा जाता है।

Related Posts

1 of 168