डेस्क। अधिकमास आगामी 16 अगस्त को खत्म होने जा रहा है। इस दिन को अधिकमास अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता के अनुसार, इस दिन पितरों को नाम से पूजा पाठ कराने से उनकी और देवी-देवताओं की विशेष कृपा आपको प्राप्त होती है।
तो आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें पूजा…
हिंदू धर्म में अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) में पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है और यह अमावस्या तीन साल में एक बार आती है। इस बार अमावस्या 16 अगस्त, बुधवार को पड़ रही है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि पर पितृ पृथ्वी पर आते हैं और अपनी अगली पीढ़ी के लोगों द्वारा किए गए पिंडदान और तर्पण से प्रसन्न होकर आशीर्वाद भी देते हैं।
एक ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि अधिकमास अमावस्या के दिन यह मास समाप्त हो जाता है वहीं इसके बाद श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुरुआत होगी। इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी बोला जाता है। इस दिन पितरों के लिए किए गए पूजा पाठ, दान आदि करने का कई गुना फल भी मिलता है।
अधिकमास अमावस्या की तिथि एवं शुभ मुहूर्त-
अधिकमास अमावस्या तिथि 15 अगस्त (मंगलवार) दोपहर 12:42 से शुरू होगी
यह तिथि 16 अगस्त (बुधवार) दोपहर 3:07 मिनट पर समाप्त हो जाएंगी
उदया तिथि के अनुसार अधिकमास अमावस्या 16 अगस्त को मनाई जानी है
पूजन विधि: अधिकमास अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और यदि ऐसा करना संभव न हो तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसके बाद आप भगवान सूर्यदेव को तांबे या चांदी के पात्र से जल अर्पित करें फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, अनाज, फल आदि किसी ब्राह्मण को दान में दें। इस दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए, ताकि पितरों का आशीर्वाद और देवी-देवताओं की विशेष कृपा भी प्राप्त हो सके।
इन बातों का आप रखें ख्याल-
अधिकमास अमावस्या के दिन बाल, नाखून आदि बिल्कुल न काटें।
मान्यताओं के अनुसार अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध भी नहीं बनाने चाहिए।
किसी नए काम की शुरुआत न करें और बोला जाता है कि इस दिन काम की शुरुआत करने पर सफलता भी नहीं मिलती है।