आध्यात्मिक– इस सम्पूर्ण विश्व का कर्ता धर्ता ईश्वर को माना गया है। यही एक शक्ति है जो इस ब्रह्मांड को चला रही है। लेकिन ईश्वर के इस ब्रह्मांड में दो प्रकार के लोग रहते हैं। एक वह जो ईश्वर को अपना आराध्य मानते हैं। उसी की सेवा में अपना जीवन व्यतीत करते हैं और सुखी रहते हैं।
वही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं। जो ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं। वह आय दिन यही कहते रहते हैं कि यदि ईश्वर है तो उसे हमारे सामने लाकर खड़ा करदो। हम उसी चीज का अस्तित्व मानते हैं जो इस संसार में दिखाई देता है।
जाने क्या कहते हैं ऐसे लोगो को-
सामान्य तौर पर जो लोग ईश्वर में आस्था रखते हैं। ईश्वर भक्ति में अपना जीवन यापन करते हैं। खुश रहते है और ईश्वर का गुणगान करते है। उन्हें आस्तिक कहा जाता है। वही जो लोग ईश्वर की आलोचना करते हैं। ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं। ईश्वर को मिथ्या बताते है और धर्म को सावालो के कटघरे में उतारते हैं। उन्हें नास्तिक कहा जाता है।
कहां है ईश्वर-
जो लोग ईश्वर के अस्तित्व को नकार रहे हैं उन्हें भी हम गलत नही कह सकते और जो लोग ईश्वर को मानते हैं उन्हें भी हमे गलत ठहराने का कोई अधिकार नही है। क्योंकि यह एक मत है और ईश्वर मत के इर्द गिर्द नही रहता।
ईश्वर विश्वास, चिंतन, सत्य, सकारात्मक और गुणवान है। जो भी व्यक्ति अपने अंदर इन गुणों को लाता है। वह ईश्वर के अस्तित्व को समझता है और ईश्वर उसके लिए इस संसार का कर्ताधर्ता होता है।
परमात्मा का अर्थ आत्म से जुड़ा है। अर्थात ईश्वर हमारे भीतर है। जब हम अपनी आत्मा का अनुसरण करते हैं और धर्म व सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं तब हम ईश्वर को देख लेते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं ईश्वर का अस्तित्व हमारे भीतर है। न की किसी के मत से।