1.खाटू श्याम अर्थात मां सैव्यम पराजित:। मतलब जो हारे हुए और निराश लोगों को संबलता प्रदान करते है।
2. खाटू श्याम बाबा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर भी हैं उनसे बड़े सिर्फ श्रीराम ही माने गए हैं।
3. खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता जाता है।
4. खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है, लेकिन वर्तमान मंदिर की आधारशिला सन 1720 की थी। इतिहासकार पंडित झाबरमल्ल शर्मा के मुताबिक सन 1679 में औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर को नष्ट किया था। मंदिर की रक्षा के लिए उस समय अनेक राजपूतों ने अपना प्राणोत्सर्ग भी किया था।
5. खाटू श्याम मंदिर परिसर में लगता है बाबा खाटू श्याम का प्रसिद्ध मेला जो हिन्दू मास फाल्गुन माह शुक्ल षष्ठी से बारस तक चलता है। ग्यारस के दिन मेले का खास दिन होता है।
6. बर्बरीक देवी के उपासक थे और देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण भी मिले थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस उनके पास आ जाते थे। इसकी कारण से बर्बरिक अजेय थे।
7. बर्बरीक अपने पिता घटोत्कच से भी ज्यादा शक्तिशाली और मायावी थे।
8. यह कहते हैं कि जब बर्बरिक से श्रीकृष्ण ने शीश मांगा तो बर्बरिक ने रातभर भजन किया और फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान करके पूजा की और अपने हाथ से अपना शीश काटकर भगवान कृष्ण को दान कर दिया।
9. शीश दान से पहले बर्बरिक ने महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा जताई थी और तब श्रीकृष्ण ने उनके शीश को एक ऊंचे स्थान पर स्थापित करके उन्हें अवलोकन की दृष्टि दी।
10. युद्ध समाप्ति के बाद जब पांडव विजयश्री का श्रेय देने के लिए वाद विवाद करने में जुटे थे तब श्रीकृष्ण कहा कि इसका निर्णय तो बर्बरिक का शीश ही कर सकता है। तब बर्बरिक ने बताया कि युद्ध में दोनों ओर श्रीकृष्ण का ही सुदर्शन चल रहा था और द्रौपदी महाकाली बन रक्तपान कर रही थी।