धर्म

कितनी पीढ़ियों को करना पड़ता है पिंडदान

डेस्क । पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों को पिंडदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में बिहार के गया में वंश के द्वारा अपने पितर के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करने से वे बहुत प्रसन्न होते और आशीर्वाद भी देते हैं।

जो गया नहीं जा पाते वे पितरों की मुक्ति के लिए घर पर ही श्राद्ध, तर्पण व ब्राह्मण भोजन कराते हैं पर सवाल उठता है कि आखीर पितृ होते कौन हैं, कितनी पीढ़ी तक पितृ को माना जाता है?

इस बारे में बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित व ज्योतिषाचार्य प्रमोद श्रृंगारी ने यह बोला है कि पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है। भाद्रमाह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर अश्विन माह की अमावस्या तक चलता है और पंचांग के अनुसार यह वर्ष का मध्य समय होता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो परिवार या रिश्तेदार में जिनकी मृत्यु हो जाती है उसे पितृ बोला जाता हैं।

गरुड़ पुराण में व्याख्या है कि मृत्यु के पश्चात व्यक्ति प्रेत रूप धारण कर यमलोक की यात्रा करते है। वहीं इस दौरान परिवार के द्वारा पिंड करने से उसे यमलोक की यात्रा तय करने में काफी बल मिलता है। जो अच्छे कर्म किया होता है वो देवलोक या पितृलोक में रहते है और कुछ प्रेत आत्मा को अपने कर्म के अनुसार प्रेत योनि में ही रहना पड़ जाता है।

जानिए कितनी पीढ़ी तक कहलाता है पितृ

तीर्थपुरोहित ये बताते हैं कि पितृपक्ष के दिनों में पितरों को पिंडदान श्राद्ध, तर्पण, आदि को प्रसन्न किया जाता है। वायु पुराण में ऐसा उल्लेख है कि पितृ पक्ष में पितृ सूक्ष्म रूप सें धरती पर वास करते हैं। तीन पीढ़ियों तक को पितृ माना गया है और पितृकुल से पिता( यदि मृत्यु हो गई हो), दादा और परदादा शामिल होते हैं। साथ ही मातृकुल में नाना, परनाना और उसके ऊपर के एक वृद्ध पर नाना होता हैं। यानि तीन पीढ़ियों तक को पितृ बोलते है और पितृ पक्ष में इनकी पूजा भी की जाती है।

 

पितृ पक्ष में क्यों जरूरी होता है विसर्जन

तीर्थपुरोहित यह बताते हैं कि सनातन धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व है। मनुष्य जन्म लेते ही तीन ऋण से युक्त होता है।
पहला होता देवी से देवताओं का ऋण, दूसरा ऋषि ऋण होता है। वहीं जो मनुष्य को सही रास्ता दिखाते हैं और तीसरा होता है पितृ ऋण।

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पितृ हमारे पूर्वज होते हैं और इनके ही आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि आती है। वहीं पितृ ऋण उतारने का समय पितृ पक्ष होता है और पितृ ऋण उतारने के लिये पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोज आदि भी कराया जाता है। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसीलिए पितृपक्ष में विसर्जन बेहद जरूरी होता है।

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