धर्म

पूजा में घंटी का होता है विषेश महत्व, मोक्ष की होती है प्राप्ति

 

डेस्क। Types of bells in Hindi : बिना घंटे के किसी भी मंदिर की कल्‍पना करना उचित नहीं है। सनातन धर्म में बिना घंटी या घंटा बजाय पूजा-पाठ पुरा नहीं होता। घंटी बजाने का धार्मिक महत्‍व तो है ही घंटे की आवाज माहौल में सकारात्‍मकता लाती है यह बात वैज्ञानिक तौर पर भी कई बार साबित हो चुकी है।
आमतौर पर आरती करते समय या आरती के बाद लोग घंटी बजाते हैं और अपनी मनोकामनाएं भगवान तक पहुंचाते भी हैं। लेकिन ये बात सभी लोग नहीं जानते हैं कि घंटा या घंटी पर किस देवता का चित्र अंकित रहता है और इस चित्र के बने होने के पीछे की वजह क्या होती है।

नाद से हुई है सृष्टि की रचना

पूजा-पाठ में बजाई जाने वाली घंटी को गरुड़ घंटी बोला जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि की रचना जिस नाद से हुई है वह इसी गरुड़ घंटी से निकलता है और लिहाजा गरुड़ घंटी को बहुत महत्‍व भी दिया गया है। इसके अलावा पूजा पाठ या आरती के समय घंटी बजाने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा खत्‍म हो जाती है।

पूजा घंटी में बने होते हैं गरुड़ भगवान

घरों और मंदिरों में ऊपरी सिरे पर जिस देवता का चित्र अंकित होता है वो हैं गरुड़ भगवान , बता दें हिंदू धर्म में गरुड़ देवता को भगवान विष्‍णु का वाहन बताया गया है। घंटी में गरुड़ देव का चित्र अंकित होने के पीछे यह वजह होती है कि वे भगवान विष्णु के वाहन के रूप में भक्तों का संदेश भगवान तक पहुंचाते हैं। साथ ही इसलिए गरुड़ घंटी बजाने से प्रार्थना भगवान विष्‍णु तक पहुंचती है और मनोकामना पूरी होती है वहीं यह भी माना जाता है कि गरुड़ घंटी बजाने से व्‍यक्ति को मोक्ष मिलता है।

घंटे या घंटियों की बात करें तो मंदिर से लेकर घर तक में उपयोग होने वाले घंटे या घंटी 4 प्रकार के होते हैं।
घंटा-घंटी के 4 प्रकार-

गरुण घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और घंटा हैं।गरुड़ घंटी सबसे छोटी होती है, जिसे हाथ से बजाया जा सकता है फिर द्वार घंटी या घंटा मंदिरों के द्वार पर लटकाया जाता है, ये छोटे या बड़े दोनों प्रकार के होते हैं। हाथ घंटी पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है वहीं इसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोक कर बजाते हैं। घंटा बहुत ही बड़ा होता है, इसकी लंबाई-चौड़ाई कम से कम 5 फुट की होती है और इसे बजाने पर आवाज कई किलोमीटर दूर तक जाती है।

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