History – आज हमने हर किसी के मुख से यह सुना होगा की भारत को हिन्दू राष्ट्र होना चाहिए। बीजेपी सरकार बार बार यह दावा करती है कि भारत अब स्वर्ण युग की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत ने कहा साल 2025 तक भारत हिन्दू राष्ट्र होगा।
वही अगर हम हिन्दू राष्ट्र के सपने की बात करे तो यह सपना आज का नही है। यह सपना आजादी के समय से भारत मे पनप रहा है। बस फर्क इतना है कि उस समय हिन्दू राष्ट्र को लेकर इतना जोर शोर से चर्चाएं नही होती थी जितनी आज हो रही है।
आरएसएस कई सालों से यह प्रयास कर रही है कि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए। हिंदू संस्कृति को पूरे भारत के लिए आदर्श जीवन संहिता बनाना संघ का घोषित लक्ष्य है। संघ ने हमेशा ही महिलाओं के हित के लिए कदम उठाए हैं।
महिलाओ के लिए ड्रेस कोड और तीन तलाक, लव जिहाद को लेकर संघ समय समय पर अभियान चलाता रहा है। संघ का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जो देश के लिए हितकारी हो।
जाने कब प्रबल हुई भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग-
आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत मे फुट डाल दी थी। जो हिन्दू मुस्लिम एकता के साथ रहे और साथ मिलकर देश को आजाद करवाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया। वह अलग अलग रहना चाहते थे। अंग्रेज भारत से चले गए लेकिन भारत में फूट डालने के उद्देश्य में सफल हो चुके थे। और इस फुट का नतीजा यह था की भारत से प्रथक होकर पाकिस्तान एक अलग देश बना।
यह इस्लामिक देश था। इस देश मे ज्यादातर आबादी मुस्लिम समुदाय की है। वही जब पाकिस्तान इस्लामिक देश बन गया तब भारत में हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग उठाई गई और तब से अब तक यही संघर्ष जारी है कि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए।
समय समय पर आरएसएस द्वारा भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाए जाने की मांग उठाई गई है। देश की काफी आबादी आज यह चाहती है कि भारत हिन्दू राष्ट्र हो। क्योंकि भारत मे सबसे अधिक हिन्दू है और भारत को अन्य देशों में हिंदुओं के रूप में ही पहचान जाता है।
जाने क्यों भारत को हिन्दू राष्ट्र नही बनने देना चाहते थे अंबेडकर-
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर एक महान समाजसेवी थे। उन्होंने महिलाओं के हित और दलित समाज के साथ हो रहे अन्याय के लिए आवाज उठाई। भीम राव अंबेडकर ने भारत का संविधान लिखा और लोगो को लिखित अधिकार दिए।
लेकिन अंबेडकर हमेशा से भारत के हिन्दू राष्ट्र बनने के इरादे के खिलाफ थे। उन्हें यह बिल्कुल नही गवारा था की भारत हिन्दू राष्ट्र बने क्योंकि अंबेडकर को यह लगता था कि अगर हिंदू राष्ट्र बन जाता है तो बेशक इस देश के लिए एक भारी ख़तरा उत्पन्न हो जाएगा. हिंदू कुछ भी कहें, पर हिंदुत्व स्वतंत्रता, बराबरी और भाईचारे के लिए एक ख़तरा है।
अंबेडकर के मुताबिक अगर भारत को हिन्दू राष्ट्र बना दिया गया तो यह लोकतंत्र की नींव को चटका देगा। उन्होंने कहा भारत को कभी भी हिन्दू राष्ट्र नही बनना चाहिए इसे रोका जाना चाहिए। वही आज जब हिन्दू राष्ट्र की मांग देश में उठाई जाती है तो कई लोग अंबेडकर की नीतियों का जिक्र करते हुए इसका विरोध करते हैं।
अंबेडकर हमेशा से हिन्दू राष्ट्र के खिलाफ रहे क्योंकि उन्हें हिन्दू राष्ट्र, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व का विरोधी लगता था। उनका कहना था कि यह सपना अगर साकार हुआ तो यह सिर्फ हिन्दू मुस्लिम तक सीमित नही रहेगा इसके कई अन्य खतरनाक प्रभाव देखने को मिलेंगे।
अंबेडकर का कहना था यह एक तरीके से जातीय व्यवस्था बनाए रखने का तरीका है। इससे जाति का भेदभाव कभी खत्म नही होगा। अंतरजातीय विवाह पर रोक लगेगी। उनके ‘हिंदू राष्ट्र’ को भारी ख़तरा मानने के पीछे, जातीय व्यवस्था से पैदा हुई असमानता एक बड़ा कारण थी, जो स्वतंत्रता, बराबरी, भाईचारे और लोकतंत्र का निषेध करती है।