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जाने कन्या पूजन का महत्व और कितने वर्ष की कन्या को कहा गया है दुर्गा

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जाने कन्या पूजन का महत्व और कितने वर्ष की कन्या को कहा गया है दुर्गा

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आध्यत्मिक– नवरात्रि का त्योहार चल रहा है। आज नवरात्र का 6 वां दिन था आज के दिन माता के कात्यायनी रूप की पूजा अर्चना की जाती है। वही नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है।

अगर आप नवरात्र में अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन करते हैं तो आपको इसका विशेष लाभ मिलता है और आपके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

देवी भागवत पुराण के अनुसार हवन,जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी कन्या पूजन से प्रसन्न होती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में माता की कृपा पाने के लिए कन्याओं के विविध रूपों की पूजा करने का विधान है।

अगर आप नवरात्र के नौ दिन माता के कन्या रूप की पूजा करते हैं। उन्हें पुष्प व फल देते हैं उपहार देते हैं। तो माता आपसे प्रसन्न हो जाती है और आपको माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अगर आप नवरात्र में कन्या पूजन करते हैं तो आपको माता के कन्या स्वरूप देवियों को फूल, श्रृंगार सामग्री,मीठे फल, मिठाई,खीर,हलवा,कपड़े,रुमाल,रिबन,पढ़ाई की वस्तुएं,मेहंदी आदि उपहार में देनी चाहिए। इससे आप पर माता की कृपा बनी रहती है।

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार आपको दुर्गा पूजन से पहले और बाद में कन्या पूजन करना चाहिए। श्रद्धा भाव से की गई एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो कन्या की पूजा से भोग, तीन से चारों पुरुषार्थ और राज्यसम्मान, चार और पांच की पूजा से बुद्धि-विद्या, छह की पूजा से कार्यसिद्धि,सात की पूजा से परमपद ,आठ की पूजा से अष्टलक्ष्मी और नौ कन्याओं की पूजा से सभी प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

कन्या पूजन में ध्यान रखने योग्य बाते-

अगर आप दो साल की कन्या की पूजा करते हैं तो इससे आपके सभी तरह के दुखों और दरिद्रता का नाश होता है।

तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति कहा गया है। भगवती त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है।

चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा गया है। देवी कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी माना गया है। माँ के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते हैं।

इस उम्र की कन्या को कालका देवी का रूप मानी जाती है। मां के कालिका स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान,बुद्धि,यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है।

सात वर्ष की कन्या माँ चण्डिका का रूप है। इस स्वरूप की पूजा करने से धन,सुख और सभी तरह के ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है।

आठ साल की कन्या माँ शाम्भवी का स्वरूप हैं। इनकी पूजा करने से युद्ध,न्यायलय में विजय और यश की प्राप्ति होती है।

नौ साल की कन्या को साक्षात दुर्गा का स्वरूप मानते है। मां के इस स्वरूप की अर्चना करने से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होते हैं।

दस वर्ष की कन्या सुभद्रा के सामान मानी जाती हैं। देवी सुभद्रा स्वरूप की आराधना करने से सभी मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।