Divorce Alimony :  कब पति को मिलता है गुजारा भत्ता और क्या कहता है भारतीय कानून?

Published On: June 7, 2025
Follow Us
Divorce Alimony :  कब पति को मिलता है गुजारा भत्ता और क्या कहता है भारतीय कानून?

Join WhatsApp

Join Now

Divorce Alimony :भारतीय संस्कृति में पति और पत्नी का रिश्ता एक पवित्र बंधन माना जाता है, जिसे अक्सर जन्मों-जन्मों का साथ कहा जाता है। लेकिन जीवन की राह में कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती हैं जब इस पवित्र रिश्ते में दरार पड़ जाती है। दुखद रूप से, कभी-कभी छोटी-छोटी बातों या मनमुटाव के कारण भी यह रिश्ता इतना बिखर जाता है कि इसका अंतिम पड़ाव तलाक (Divorce) बन जाता है।

जब बात तलाक की आती है, तो आमतौर पर यह माना जाता है कि सिर्फ पत्नी ही पति से गुजारा भत्ता (Alimony) यानी भरण पोषण (Maintenance) का दावा कर सकती है। यह धारणा काफी हद तक सही है, क्योंकि भारतीय कानूनों में पत्नी के अधिकारों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, पति भी अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता (Husband’s Alimony Rights) मांगने का अधिकार रखता है? यह सुनकर शायद आपको आश्चर्य हो, लेकिन भारतीय कानून (Indian Law) में ऐसे प्रावधान मौजूद हैं। इन अधिकारों और उनसे जुड़ी शर्तों (Conditions) के बारे में कानून में स्पष्ट रूप से बताया गया है।

तलाक की प्रक्रिया (Divorce Process) और कानून के प्रावधान:

हिंदू मैरिज एक्ट 1955 (Hindu Marriage Act 1955) भारतीय विवाह और तलाक कानून (Divorce Law) से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। इस एक्ट की धारा 25 (Section 25) स्थायी भरण पोषण और गुजारा भत्ता (Permanent Maintenance and Alimony) दिए जाने का प्रावधान करती है। दिलचस्प बात यह है कि यह धारा पति और पत्नी दोनों को गुजारा भत्ता (Alimony for Husband and Wife) मांगने का अधिकार प्रदान करती है, बशर्ते वे निर्धारित शर्तों को पूरा करते हों।

वहीं, हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 (Section 9 of Hindu Marriage Act) एक और महत्वपूर्ण प्रावधान है जिसे ‘रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जुगल राइट्स’ (Restitution of Conjugal Rights) या दांपत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना (Restoration of Marital Rights) कहा जाता है। यह धारा तब लागू होती है जब पति या पत्नी में से कोई बिना किसी वैध कारण के एक-दूसरे से अलग रहने लगता है। ऐसी स्थिति में, दूसरा पक्ष कोर्ट में अर्जी दायर कर साथ रहने की गुहार लगा सकता है। इस प्रक्रिया (जिसे RCR – RCR in Divorce – भी कहा जाता है) का उद्देश्य रिश्तों को सुधारने और पति-पत्नी को फिर से एक साथ लाने का प्रयास करना है।

READ ALSO  Budget Session LIVE:कर्नाटक में आरक्षण मुद्दे पर हंगामा, पढ़े लाइव अपडेट

RCR की प्रक्रिया के दौरान, कोर्ट मामले की सुनवाई करता है और दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास करता है। अगर RCR की प्रक्रिया के बावजूद कोई एक पक्ष साथ रहने से इनकार करता है, तो दूसरा पक्ष तलाक के लिए आवेदन (Apply for Divorce) दायर कर सकता है। आमतौर पर, तलाक की कानूनी प्रक्रिया (Legal Divorce Process) RCR के निपटारे के बाद ही आगे बढ़ती है। हालांकि, आपसी सहमति से होने वाले तलाक (Divorce by Mutual Consent) में धारा 9 (Section 9 RCR) का कोई औचित्य नहीं होता।

कानून के अनुसार, जब तक RCR की प्रक्रिया कोर्ट में चल रही हो, तब तक तलाक की अर्जी (Divorce Petition) दाखिल नहीं की जा सकती। RCR की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही, अक्सर एक साल की अवधि बीत जाने पर, तलाक के लिए आवेदन (Divorce Application) करने की अनुमति मिलती है। गुजारा भत्ता (Alimony) तय करते समय, कोर्ट पति और पत्नी दोनों की आय (Income)संपत्ति (Property), देनदारियों और जीवनशैली का विस्तृत आकलन (Assessment) करने का आदेश दे सकता है ताकि एक उचित और न्यायसंगत राशि निर्धारित की जा सके।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि जबकि हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) पति और पत्नी दोनों को कुछ शर्तों के तहत गुजारा भत्ता (Alimony Rights) का अधिकार देता है, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 (Special Marriage Act 1954) के तहत हुए विवाह के मामलों में, कानून (Alimony Law in India) केवल पत्नी को ही तलाक के बाद भरण पोषण या गुजारा भत्ता (Maintenance or Alimony) मांगने का अधिकार देता है।

पुरुष कब मांग सकता है गुजारा भत्ता (Alimony for Husband):

READ ALSO  Eight years of Yogi government:योगी सरकार के आठ साल: उत्तर प्रदेश बना विकास का इंजन, कानून-व्यवस्था में बड़ा सुधार

तो वह कौन सी स्थिति है जब एक पुरुष अपनी पत्नी से तलाक के बाद गुजारा भत्ता (Husband asking Alimony from Wife) मांग सकता है? हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) के तहत, यह अधिकार कुछ खास परिस्थितियों पर निर्भर करता है। मुख्य शर्त यह है कि अगर पति की अपनी आय का कोई साधन न हो (Husband has no source of income), वह शारीरिक या मानसिक रूप से काम करने में असमर्थ हो, या उसकी आय उसकी पत्नी की तुलना में काफी कम (Husband’s income less than wife’s) हो, और पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम (Wife is financially sound) हो या अच्छी कमाई करती हो, तो पति तलाक होने पर गुजारा भत्ता (Alimony after Divorce) के लिए दावा कर सकता है। कोर्ट ऐसे मामलों में पति की वास्तविक जरूरतों, उसकी अक्षमता (यदि कोई हो) और पत्नी की आर्थिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि कानून किसी एक लिंग का पक्ष नहीं लेता और जरूरत के समय किसी भी पक्ष को सहारा मिल सके।

एक चर्चित मामला: जब पत्नी ने पति को दिया करोड़ों का गुजारा भत्ता:

इस संदर्भ में, एक वास्तविक तलाक के मामले (Divorce Case) ने खूब सुर्खियां बटोरीं, जिसने इस बात को साबित किया कि पति भी गुजारा भत्ते का हकदार हो सकता है। मुंबई का एक दंपति, जो 25 साल से अधिक समय से शादीशुदा थे, उन्होंने अलग होने का फैसला किया। तलाक की प्रक्रिया (Divorce Proceedings) के दौरान, पति ने कोर्ट से गुजारा भत्ता (Alimony) मांगा। चूंकि पत्नी आर्थिक रूप से बेहद मजबूत स्थिति में थी जबकि पति की आय सीमित थी, कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पत्नी को पति को भरण पोषण देना होगा। यह मामला इसलिए भी खास था क्योंकि पत्नी ने अपने पूर्व पति को एकमुश्त निपटान (One-Time Settlement) के तौर पर लगभग 10 करोड़ रुपये की बड़ी रकम गुजारा भत्ता (Alimony Payment) के रूप में दी। यह उदाहरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारतीय कानूनी प्रावधान (Legal Provisions) कैसे विकसित हो रहे हैं और विशेष परिस्थितियों में पति भी अपनी पूर्व पत्नी से भरण पोषण (Maintenance) प्राप्त कर सकता है, खासकर जब पत्नी की आर्थिक स्थिति उससे काफी बेहतर हो। ऐसे तलाक के मामले (Divorce Cases in India) कानून की निष्पक्षता को उजागर करते हैं।

READ ALSO  Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदार पर लगाया ₹1 लाख का जुर्माना, चुकाना होगा 11 साल का किराया

तलाक और गुजारा भत्ता (Divorce and Alimony) से जुड़े मामले बेहद संवेदनशील और कानूनी रूप से जटिल होते हैं। हर मामले की अपनी अलग परिस्थितियां होती हैं। इसलिए, यदि आप ऐसी किसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो एक योग्य कानूनी सलाहकार (Legal Advisor) या तलाक के वकील (Divorce Lawyer) से परामर्श लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे आपको आपके विशिष्ट मामले के आधार पर सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Related Posts

Chief Justice: राजस्थान हाईकोर्ट ने रचा इतिहास, 7 नए न्यायाधीशों ने ली शपथ, जजों की संख्या रिकॉर्ड 43 पर पहुंची

Chief Justice: राजस्थान हाईकोर्ट ने रचा इतिहास, 7 नए न्यायाधीशों ने ली शपथ, जजों की संख्या रिकॉर्ड 43 पर पहुंची

July 25, 2025
Narendra Modi: मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का 47 साल पुराना 'अटूट' रिकॉर्ड, अब नेहरू का कीर्तिमान कितनी दूर?

Narendra Modi: मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का 47 साल पुराना ‘अटूट’ रिकॉर्ड, अब नेहरू का कीर्तिमान कितनी दूर?

July 25, 2025
Jhalawar, Rajasthan:  मातम में बदला शुक्रवार, जर्जर छत गिरने से 4 मासूमों की मौत, कई की हालत नाजुक, उच्च स्तरीय जांच के आदेश

Jhalawar, Rajasthan:  मातम में बदला शुक्रवार, जर्जर छत गिरने से 4 मासूमों की मौत, कई की हालत नाजुक, उच्च स्तरीय जांच के आदेश

July 25, 2025
Govindachamy jail escape: जेल तोड़कर भागा खूंखार बलात्कारी-हत्यारा गोविंदाचामी

Govindachamy jail escape: जेल तोड़कर भागा खूंखार बलात्कारी-हत्यारा गोविंदाचामी

July 25, 2025
MP पुलिस की ट्रेनिंग, 'राम नाम' की गूंज, अनुशासन सिखाने के लिए नए रंगरूट करेंगे रामचरितमानस का पाठ

MP पुलिस की ट्रेनिंग, ‘राम नाम’ की गूंज, अनुशासन सिखाने के लिए नए रंगरूट करेंगे रामचरितमानस का पाठ

July 24, 2025
Thailand-कंबोडिया में छिड़ा भीषण युद्ध, हवाई हमलों से दहला बॉर्डर, व्यापक संघर्ष का बढ़ा खतरा

Thailand-कंबोडिया में छिड़ा भीषण युद्ध, हवाई हमलों से दहला बॉर्डर, व्यापक संघर्ष का बढ़ा खतरा

July 24, 2025