Bank Loan Rule : लोन लेने की सोच रहे हैं? सावधान! बैंक एजेंट अक्सर छिपाते हैं ये ज़रूरी बातें, कहीं लग न जाए चूना

Published On: May 2, 2025
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Bank Loan Rule : लोन लेने की सोच रहे हैं? सावधान! बैंक एजेंट अक्सर छिपाते हैं ये ज़रूरी बातें, कहीं लग न जाए चूना

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Bank Loan Rule : जब पैसों की सख्त ज़रूरत आन पड़ती है, तो अक्सर लोन ही एकमात्र सहारा नज़र आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी इसी ज़रूरत का फायदा उठाने के लिए बैंक या उनके एजेंट कुछ ऐसी चालें चल सकते हैं जिनके बारे में आपको पता भी नहीं चलता? मीठी-मीठी बातें, लुभावने ऑफर्स और कम ब्याज दर का सपना दिखाकर आपको फंसाया जा सकता है।

बैंक से फोन आता है, “सर/मैडम, आपके लिए खास ऑफर! सिर्फ 9% की ‘फ्लैट’ दर पर पर्सनल लोन!” सुनने में कितना सस्ता लगता है, है ना? लेकिन रुकिए! लोन लेने से पहले कुछ ऐसी ज़रूरी बातें हैं जो बैंक एजेंट आपको कभी खुलकर नहीं बताएंगे। अगर आप ये बातें जान लें, तो आप न सिर्फ अपने हितों की रक्षा कर पाएंगे बल्कि किसी बड़े धोखे से भी बच सकते हैं। आइए जानते हैं उन छिपी हुई बातों को:

1. ‘फ्लैट’ और ‘रिड्यूसिंग’ ब्याज दर का मायाजाल:

  • एजेंट क्या कहता है: “सिर्फ 9% फ्लैट रेट पर लोन!”

  • छिपा सच: ‘फ्लैट’ ब्याज दर सुनने में कम लगती है, लेकिन ये पूरे लोन अमाउंट पर पूरी अवधि के लिए लगती है, भले ही आप हर महीने मूलधन (Principal) चुका रहे हों। सही तरीका है ‘रिड्यूसिंग’ (घटती हुई) ब्याज दर पूछना। इसमें ब्याज सिर्फ आपकी बची हुई लोन राशि पर लगता है।

  • उदाहरण: 9% की फ्लैट दर असल में 15-16% या उससे भी ज़्यादा की रिड्यूसिंग दर के बराबर हो सकती है! एजेंट ये कभी नहीं बताएगा क्योंकि फ्लैट रेट सुनने में आकर्षक लगता है। हमेशा ‘रिड्यूसिंग रेट’ पूछें।

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2. छुपी हुई ‘प्रोसेसिंग फीस’ और अन्य चार्ज:

  • एजेंट क्या कहता है: (अक्सर इसका जिक्र गोल कर जाता है या बहुत कम करके बताता है)

  • छिपा सच: लोन अमाउंट का 1-2% ‘प्रोसेसिंग फीस’ के नाम पर लिया जाता है। ये रकम भले ही छोटी लगे, लेकिन ये आपके लोन की कुल लागत (Effective Cost) को बढ़ा देती है। इसके अलावा भी कई छोटे-मोटे चार्ज हो सकते हैं जिनके बारे में खुलकर नहीं बताया जाता।

3. ‘एडवांस EMI’ का खेल:

  • एजेंट क्या कहता है: “बस शुरू की 1-2 EMI एडवांस दे दीजिए, प्रक्रिया आसान हो जाएगी।”

  • छिपा सच: आपसे शुरू में ही 1 या 2 EMI ले ली जाती है। आपको लगता है कि लोन जल्दी कम होगा, लेकिन असल में बैंक आपसे पैसा पहले ही ले लेता है। इससे लोन की प्रभावी ब्याज दर (Effective Interest Rate) काफी बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, 14% का बताया गया लोन एडवांस EMI के कारण आपको असल में 16% या उससे भी महंगा पड़ सकता है।

4. जल्दी-जल्दी साइन कराने की हड़बड़ी:

  • एजेंट क्या करता है: फटाफट फॉर्म भरवाना, डॉक्यूमेंट पर जल्दी से साइन करवाना।

  • छिपा सच: एजेंट जानबूझकर प्रक्रिया में तेजी दिखाते हैं ताकि आपको लोन एग्रीमेंट के नियम और शर्तों (Terms & Conditions), खासकर बारीक अक्षरों में लिखी बातों को पढ़ने और समझने का मौका ही न मिले। उनका पूरा फोकस सिर्फ आपके साइन लेने पर होता है।

5. इंश्योरेंस का गैर-कानूनी दबाव:

  • एजेंट क्या कहता है: “होम लोन के साथ ये इंश्योरेंस लेना अनिवार्य (Compulsory) है।”

  • छिपा सच: होम लोन या बड़े लोन के साथ अक्सर एक सिंगल प्रीमियम टर्म प्लान या अन्य बीमा पॉलिसी लेने का दबाव बनाया जाता है। RBI के नियम साफ कहते हैं कि बैंक लोन की सुरक्षा के लिए बीमा करवाने को कह सकता है, लेकिन वो आपको मजबूर नहीं कर सकता कि आप बीमा उसी से खरीदें। आप अपनी पसंद की कंपनी से बीमा खरीद सकते हैं। एजेंट ये बात छिपाते हैं क्योंकि उन्हें बीमा बेचने पर मोटा कमीशन मिलता है।

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6. सिर्फ मौखिक वादे, कागज़ पर कुछ नहीं:

  • एजेंट क्या करता है: कार लोन के साथ रोडसाइड असिस्टेंस, एक्सेसरीज़ या अन्य सुविधाओं के मौखिक वादे कर देता है।

  • छिपा सच: जो वादे लिखित में नहीं हैं, उनकी कोई गारंटी नहीं होती। बाद में अगर वो सुविधा नहीं मिलती तो आप कुछ नहीं कर सकते। हमेशा हर ज़रूरी बात और वादे को लोन डॉक्यूमेंट में लिखवाएं।

जागरूक बनें, सुरक्षित रहें!

अगली बार जब आप लोन के लिए आवेदन करें, तो सिर्फ एजेंट की चिकनी-चुपड़ी बातों में न आएं।

  • हमेशा ‘रिड्यूसिंग’ ब्याज दर पूछें।

  • सभी छिपे हुए चार्ज जैसे प्रोसेसिंग फीस के बारे में स्पष्ट जानकारी मांगें।

  • एडवांस EMI के प्रभाव को समझें।

  • लोन एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें, खासकर बारीक अक्षरों वाली शर्तें।

  • इंश्योरेंस अपनी मर्जी से और कहीं से भी खरीदने के अपने अधिकार को जानें।

  • हर वादे को लिखित में लें।

थोड़ी सी जागरूकता और सवाल पूछने की हिम्मत आपको भविष्य में होने वाले बड़े आर्थिक नुकसान और मानसिक परेशानी से बचा सकती है। याद रखें, जानकारी ही आपका सबसे बड़ा हथियार है!


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