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Join NowDonald Trump India: भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में बढ़ती आर्थिक और सामरिक नजदीकी ने अमेरिका को बैकफुट पर ला दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने साफ किया कि यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए उठाया गया है।
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि वह रूस पर दबाव बढ़ाने की रणनीति अपना रहा है और भारत पर टैरिफ बढ़ाकर अप्रत्यक्ष रूप से रूस को कमजोर करना चाहता है। इस बीच ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भी मुलाकात की है।
भारत-चीन की नजदीकी से अमेरिका की टेंशन
भारत और चीन पिछले कुछ समय से आर्थिक सहयोग बढ़ा रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी में इजाफा हुआ है, और तकनीकी सहयोग के नए रास्ते खुल रहे हैं। चीन, भारत के लिए सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, वहीं अमेरिका इस साझेदारी को अपनी रणनीतिक स्थिति के लिए खतरे के रूप में देख रहा है।
अमेरिकी प्रशासन को यह डर सता रहा है कि भारत यदि चीन के और करीब गया, तो एशिया में अमेरिकी प्रभाव घट सकता है।
ट्रंप का भारत पर टैरिफ बढ़ाने का फैसला
राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले भारत पर 25% टैरिफ लगाया था। लेकिन अचानक इसको दोगुना करके 50% कर दिया गया। प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“राष्ट्रपति इस युद्ध को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। भारत पर टैरिफ बढ़ाना इसी रणनीति का हिस्सा है।”
यह कदम भारत के लिए आर्थिक झटका साबित हो सकता है क्योंकि अमेरिका, भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
व्हाइट हाउस की सफाई
कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि रूस को वित्तीय और सामरिक दबाव में लाया जा सके। उन्होंने साफ कहा कि राष्ट्रपति युद्ध को रोकना चाहते हैं और इसके लिए कठोर कदम उठाने पड़ेंगे।
उन्होंने बताया कि भारत के खिलाफ यह कार्रवाई अस्थायी हो सकती है और भविष्य में हालात बदलने पर इसे वापस भी लिया जा सकता है।
ट्रंप और जेलेंस्की की मुलाकात
हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की। इस मुलाकात का मकसद युद्ध को समाप्त करने की दिशा में ठोस रणनीति बनाना था।
जेलेंस्की से मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा कि अमेरिका, यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी देगा। इस बयान से यह साफ है कि अमेरिका यूरोप और नाटो देशों के साथ मिलकर रूस पर दबाव बनाना चाहता है।
यूरोपीय नेताओं का समर्थन
ट्रंप की इस नीति को कई यूरोपीय देशों ने समर्थन दिया है। नाटो महासचिव सहित कई यूरोपीय नेताओं ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह कदम सराहनीय है। उनका मानना है कि इससे युद्ध को रोकने में मदद मिलेगी।
पुतिन और ट्रंप की गुप्त बातचीत
जेलेंस्की से मुलाकात से पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की थी। हालांकि इस मुलाकात का एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच युद्ध समाप्ति को लेकर गहन चर्चा हुई।
सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही पुतिन और जेलेंस्की की एक संयुक्त बैठक ट्रंप की मौजूदगी में हो सकती है।
भारत के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति
भारत इस समय एक कठिन स्थिति में है। एक तरफ अमेरिका है, जो भारत पर टैरिफ लगाकर दबाव बना रहा है। दूसरी तरफ चीन है, जिसके साथ भारत आर्थिक साझेदारी को बढ़ाना चाहता है।विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस स्थिति में संतुलित कूटनीति अपनानी होगी, ताकि वह न तो अमेरिका को नाराज करे और न ही चीन के साथ रिश्ते बिगाड़े।
भारत और चीन की नजदीकी ने अमेरिका को रणनीतिक चुनौती दी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाकर यह संदेश दिया है कि अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। लेकिन भारत के लिए यह स्थिति जटिल है, क्योंकि उसे अपने आर्थिक हितों और कूटनीतिक रिश्तों के बीच संतुलन बनाना होगा। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप की रणनीति से रूस-यूक्रेन युद्ध रुक पाता है या नहीं।