इतिहास– मुगल बादशाह शाहजहां अपनी नीतियों के लिए जाने जाते हैं। कहते हैं यह अपनी बेगम मुमताज महल से सबसे अधिक प्रेम करते थे। इनकी याद में इन्होंने ताज महल का निर्माण करवाया था। हालाकि मुमताज महल शाहजहां की पहली पत्नी नही थी।
लोग मुमताज और शाहजहां के प्रेम के कसीदे गढ़ते रहते हैं लेकिन इतिहास यह भी बताता है कि शाहजहां काफी क्रूर मुगल बादशाह था। उसने अपने काल मे हिन्दू महिलाओ और पुरुषों के साथ काफी अत्याचार किए थे।
लेकिन इस सबके बाद भी वह मुमताज महल की खूबसूरती का दीवाना था। वही आज हम आपको बताने जा रहे हैं शाहजहां और मुमताज की पहली मुलाकात और शादी का किस्सा जिसके बारे में शायद ही आपने कभी सुना होगा।
जाने कब पहली दफा टकराई मुमताज और शाहजहां की नजरें-
अगर हम इतिहास के परिदृश्य से समझे तो मुमताज और शाहजहां की पहली मुलाकात मीना बाजार में हुई थी। कहते हैं नवरोज की वजह से मीना बाजार को बेहद आकर्षक तरीके से सजाया गया था। उस समय शाहजहां शहजादे थे। पहली बार उन्होंने यही मुमताज महल को देखा और वह उनकी खूबसूरती के कायल हो गए।
मुमताज को उस समय अर्जुमंद के नाम से जाना जाता था। यह मीना बाजार मेंरेशन और खूबसूरत पत्थर बेंच रही थी। शाहजहां ने इनके पास जाकर इनसे पत्थर खरीदे और इनसे अपने दिल का हाल कहा और अपने प्रेम को आगे बढाया।
जाने कब हुआ विवाह-
इतिहास के मुताबिक शाहजहां और मुमताज की सगाई 1607 में हुई थी। लेकिन इन्हें विवाह हेतु 5 साल का लम्बा इंतजार करना पड़ा था और साल 1612 में इनका निकाह हुआ।
लेकिन मुमताज महल से निकाह से पूर्व ही शाहजहां ने उस 5 पांच साल ने किसी अन्य से भी निकाह कर लिया था। उनकी पहली बेगम का नाम शहज़ादी कंधारी था।
शादी के कुछ साल बाद ही मुमताज का निधन हो गया था. दोनों करीब 19 साल तक साथ रहे और 19 साल के इस वैवाहिक सफर में उनके 14 बच्चे हुए, जिनमें 7 की तो जन्म के वक्त या कम उम्र में मौत हो गई थी. वहीं, 14वें बच्चे के जन्म के दौरान ही मुमताज का इंतकाल हो गया था।