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Join NowDon: बॉलीवुड जगत से एक दुखद खबर आई है। अपनी कल्ट क्लासिक फिल्म ‘डॉन’ (Don) के निर्देशन के लिए जाने जाने वाले प्रसिद्ध निर्देशक चंद्र अरोत (Chandra Barot) का 86 वर्ष की आयु (age of 86) में निधन हो गया। उनकी पत्नी, दीपा अरोत (Deepa Barot), ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए एक बयान में उनके निधन की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि चंद्र अरोत पिछले सात सालों से पल्मोनरी फाइब्रोसिस (pulmonary fibrosis) से पीड़ित थे। इस मुश्किल समय के दौरान, उनका इलाज डॉक्टर मनीष शेट्टी (Dr. Manish Shetty) की देखरेख में गुरु नानक अस्पताल में चल रहा था, और पहले वे जसलोक अस्पताल में भी इलाज करा चुके थे।
अफ्रीका की बैंकिंग से लेकर भारत में फिल्म निर्देशन तक का सफर
चंद्र अरोत का भारतीय सिनेमा में प्रवेश काफी अप्रत्याशित (unconventional path) था। उनका जन्म 1930 के दशक में हुए राजनीतिक उथल-पुथल (political turbulence) के कारण अफ्रीका के दार-एस-सलाम (Dar-es-Salaam, South Africa) में बस गए एक परिवार में हुआ था। उनके पेशेवर जीवन की शुरुआत फिल्मों से बहुत दूर, तंजानिया में बार्कलेज बैंक (Barclay’s Bank) में हुई थी। हालांकि, उनकी असली रुचि कहानी कहने (storytelling) में थी, जिसके चलते अरोत भारत आकर सिनेमाई महत्वाकांक्षाओं (cinematic aspirations) को पूरा करने लगे। यहाँ उन्होंने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मनोज कुमार (Manoj Kumar) के साथ काम करना शुरू किया और ‘पूरब और पश्चिम’ (Purab Aur Paschim) जैसी बड़ी फिल्मों में उनकी सहायता की, जिसने उन्हें फिल्म उद्योग में एक मजबूत नींव दी।
‘डॉन’ – दोस्ती की एक मिशन, एक ब्लॉकबस्टर
चंद्र अरोत का सबसे प्रतिष्ठित काम, 1978 की ब्लॉकबस्टर ‘डॉन’ (Don), महज़ एक फिल्म से कहीं बढ़कर थी। यह उनके करीबी दोस्त, निर्माता नरिमन ईरानी (Nariman Irani) की मदद के लिए उठाया गया एक व्यक्तिगत प्रयास (personal project) था, जो उस समय वित्तीय संकट (financial collapse) से जूझ रहे थे।
एक इंटरव्यू में, अरोत ने इस बात पर जोर दिया कि ‘डॉन’ केवल कलात्मक जुनून से ही नहीं, बल्कि ईरानी का उनके जीवन के सबसे अंधकारमय दौर में समर्थन करने की हार्दिक इच्छा (heartfelt desire) से भी जन्मी थी। ईरानी एक सम्मानित सिनेमाटोग्राफर (cinematographer) थे, जिन्हें ‘सरस्वतीचंद्र’ (1968) में उनके काम के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जब उनका करियर मुश्किलों में घिरा, तो उद्योग के उनके दोस्तों ने उनका साथ दिया। उन्होंने मिलकर ‘डॉन’ बनाई, उम्मीद थी कि इसकी सफलता ईरानी को वित्तीय सहायता (financial lifeline) प्रदान करेगी। दुखद बात यह है कि ईरानी इस फिल्म की अभूतपूर्व सफलता (phenomenal success) को देखने से पहले ही दुनिया छोड़ गए।
एक विरासत जिसने फ्रैंचाइज़ी को जन्म दिया
1978 में रिलीज हुई ‘डॉन’ उस वर्ष की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट (box office hits) में से एक बन गई और बाद में एक चर्चित फ्रैंचाइज़ी (celebrated franchise) के रूप में विकसित हुई। जावेद अख्तर के बेटे, फरहान अख्तर (Farhan Akhtar), ने 2006 में ‘डॉन: द चेज़ बिगिन्स अगेन’ (Don: The Chase Begins Again) और 2011 में सीक्वल ‘डॉन 2’ (Don 2) के साथ इस फिल्म को आधुनिक दर्शकों के लिए पुनर्कल्पित (reimagined) किया, दोनों में शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) ने अभिनय किया। कहानी की लोकप्रियता ने दक्षिण भारतीय सफल रूपांतरणों (South Indian adaptations) जैसे तेलुगु में ‘युगंधर’ (1979) और तमिल में ‘बिल्ला’ (1980) को भी जन्म दिया, जिसने पूरे भारतीय सिनेमा में चंद्र अरोत की विरासत (legacy) को मजबूत किया।