Switzerland poverty: इस देश में ‘गरीब’ होना जुर्म है? सड़कों पर एक भी भिखारी नहीं, 4 लाख है मिनिमम सैलरी

Published On: October 24, 2025
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Switzerland poverty: इस देश में 'गरीब' होना जुर्म है? सड़कों पर एक भी भिखारी नहीं, 4 लाख है मिनिमम सैलरी

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Switzerland poverty: एक ऐसे देश की कल्पना कीजिए जहाँ की सड़कों पर चलना किसी जन्नत में घूमने जैसा हो, जहाँ आपको कोई बेबस, लाचार या भीख मांगता इंसान न दिखे। एक ऐसी जगह, जहाँ ‘गरीब’ होना भी एक सम्मानजनक जीवन जीने की गारंटी हो। यह कोई सपना नहीं, बल्कि यूरोप के सबसे अमीर और खुशहाल देशों में से एक, स्विट्जरलैंड की हकीकत है। यहाँ की सरकार ने गरीबी के खिलाफ एक ऐसी जंग छेड़ी है कि अब यह लगभग ‘गायब’ हो चुकी है।

आजकल स्विट्जरलैंड की इसी अनोखी तस्वीर को दिखाता एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देखकर दुनिया भर के लोग हैरान हैं। आखिर यह देश ऐसा करने में कामयाब कैसे हुआ?

यहाँ ‘गरीबी’ की परिभाषा ही अलग है

भारत, अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों में जब हम गरीबी की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में भूख, बेघर और लाचारी की तस्वीरें आती हैं। लेकिन स्विट्जरलैंड में गरीबी का मतलब कुछ और ही है। यहाँ जिसे सरकार ‘गरीब’ मानती है, उसके पास भी आमतौर पर रहने के लिए एक अच्छा घर होता है, दिन में तीन वक्त का पौष्टिक भोजन मिलता है और बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं तक उसकी पूरी पहुँच होती है।

चौंकाने वाली बात तो यह है कि यहाँ के ‘गरीब’ भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, शानदार पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करते हैं और कभी-कभार कैफे में बैठकर एक महंगी कैप्पुचीनो का लुत्फ भी उठाते हैं। यह सब मुमकिन हुआ है यहाँ की अविश्वसनीय सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के कारण।

नियम ऐसे कि आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे

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स्विट्जरलैंड में अनुशासन और नागरिकों की भलाई को सर्वोपरि रखा गया है। यहाँ के कुछ नियम हैरान करने वाले हैं:

  • न्यूनतम वेतन (Minimum Wage): यहाँ पर एक कर्मचारी का न्यूनतम वेतन करीब 4,000 यूरो यानी लगभग 4 लाख रुपये प्रति माह है।

  • बेरोजगारी भत्ता (Unemployment Benefit): अगर किसी वजह से आपकी नौकरी चली जाती है, तो सरकार आपको आपकी आखिरी सैलरी का 80% हिस्सा बेरोजगारी भत्ते के रूप में देती है, जब तक कि आपको नई नौकरी न मिल जाए।

  • सफाई का अनुशासन (Strict Cleanliness): अगर आपने गलती से भी सड़क पर सिगरेट का एक टुकड़ा फेंक दिया, तो आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। इसके लिए 300 यूरो (लगभग 30,000 रुपये) का भारी-भरकम चालान तुरंत काट दिया जाता है।

एक रात में नहीं बना यह ‘स्वर्ग’

स्विट्जरलैंड की यह अनुशासित और समृद्ध व्यवस्था किसी चमत्कार का नतीजा नहीं है, बल्कि यह 19वीं सदी से चली आ रही मजबूत नीतियों का परिणाम है। यहाँ की सरकार ने अपने हर नागरिक को एक सम्मानजनक जीवन देने की ज़िम्मेदारी उठाई है।

  • सबके लिए घर: अगर कोई नागरिक अपना घर खो देता है, तो उसे बेघर नहीं होने दिया जाता। सरकार उसे तुरंत नया आवास मुहैया कराती है। देश की लगभग 60% आबादी सरकार की सब्सिडी वाले अपार्टमेंट में रहती है।

  • लगभग मुफ्त स्वास्थ्य सेवा: देश के हर नागरिक को दुनिया की बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच मिलती है, जिसका खर्च लगभग न के बराबर होता है।

  • मुफ्त करियर ट्रेनिंग: बेरोजगार लोगों को सिर्फ भत्ता ही नहीं दिया जाता, बल्कि उन्हें मुफ्त में करियर री-ट्रेनिंग भी दी जाती है ताकि वे दोबारा आसानी से नौकरी पा सकें।

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स्विस फेडरल स्टैटिस्टिकल ऑफिस के अनुसार, स्विट्जरलैंड में गरीबी दर सिर्फ 6.6% है, और यह भी ‘सापेक्ष गरीबी’ (Relative Poverty) है। इसका मतलब है कि यहाँ कोई भी भूखा या बेघर नहीं सोता। यह गरीबी सिर्फ देश के अन्य नागरिकों की औसत आय की तुलना में कम आय को दर्शाती है।

स्विट्जरलैंड आज दुनिया के लिए एक मिसाल है कि कैसे एक मजबूत इच्छाशक्ति और सही नीतियों से गरीबी को हराया जा सकता है और हर नागरिक को एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन दिया जा सकता है।

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