Om Prakash Rajbhar: कौन हैं ओम प्रकाश राजभर, पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

Published On: September 2, 2025
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Om Prakash Rajbhar: कौन हैं ओम प्रकाश राजभर, पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

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Om Prakash Rajbhar: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसे आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। एक ऐसा नेता जो कभी सत्ता के साथ होता है, तो कभी विपक्ष की आवाज़ बनता है। जिसकी एक-एक चाल पर सियासी पंडितों की नज़रें टिकी रहती हैं। हम बात कर रहे हैं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री, श्री ओम प्रकाश राजभर की। गाजीपुर के जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक राजभर, अपनी बेबाक बयानबाज़ी और अप्रत्याशित राजनीतिक चालों के लिए जाने जाते हैं।

एक साधारण शुरुआत से सत्ता के शिखर तक

15 सितंबर, 1962 को वाराणसी के एक साधारण राजभर परिवार में जन्मे ओम प्रकाश राजभर ने अपने जीवन की शुरुआत कृषि कार्य से की। उनके पिता का नाम श्री सन्नू राजभर था। पिछड़ी (राजभर) जाति से आने वाले ओम प्रकाश राजभर ने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है। उनका विवाह 25 अप्रैल, 1979 को श्रीमती तारामनी देवी से हुआ, जिनसे उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। लेकिन उनकी किस्मत में सिर्फ खेत-खलिहान नहीं, बल्कि लखनऊ की विधानसभा लिखी थी।

गरीबों और वंचितों की सेवा में विशेष रुचि रखने वाले राजभर ने राजनीति को बदलाव का माध्यम बनाया। उन्होंने अपनी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया और पिछड़ों, दलितों और वंचितों की आवाज़ उठाने लगे। उनकी राजनीति का मुख्य केंद्रबिंदु राजभर समुदाय के साथ-साथ अन्य पिछड़ी जातियों का कल्याण और सामाजिक न्याय की मांग रहा है।

राजनीति के महारथी: कब किसके साथ, कब किसके खिलाफ?

ओम प्रकाश राजभर को उत्तर प्रदेश की राजनीति का ‘मौसम विज्ञानी’ भी कहा जाता है, जो हवा का रुख भांपकर अपने फैसले लेते हैं।

  • 2017 – बीजेपी के साथ: मार्च 2017 में, वह पहली बार जहूराबाद से विधायक चुने गए और योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांग कल्याण मंत्री बने। यह बीजेपी के साथ उनके गठबंधन की पहली बड़ी सफलता थी।

  • 2019 – रास्ते अलग: लेकिन जातिगत मुद्दों पर मतभेदों के चलते 2019 में उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया और उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

  • 2022 – समाजवादी पार्टी का साथ: 2022 के विधानसभा चुनाव में, राजभर ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और अपनी सीट पर फिर से जीत हासिल की।

  • घर वापसी: लेकिन यह साथ भी लंबा नहीं चला, और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, उन्होंने एक बार फिर एनडीए का दामन थाम लिया, जो उनकी राजनीतिक कुशलता को दर्शाता है।

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आज वह फिर से योगी आदित्यनाथ सरकार में एक प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री हैं और अक्सर अपने बयानों से अखिलेश यादव और राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने विपक्षी नेताओं को “फ्यूज़ कारतूस” तक कह दिया, जो कोई प्रभाव नहीं डाल सकते।

विवादों से भी रहा है नाता

राजनीति में अपनी सीधी और कभी-कभी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए जाने जाने वाले राजभर का जीवन विवादों से अछूता नहीं रहा है। गरीबों के हक की लड़ाई में उन्हें 13 दिनों तक वाराणसी जिला कारागार में भी रहना पड़ा था। उनके बयान अक्सर सुर्खियां बनते हैं, चाहे वो जिन्ना को लेकर दिया गया बयान हो या फिर चुनाव आयोग में शिकायत की बात हो।

ओम प्रकाश राजभर की कहानी फर्श से अर्श तक पहुंचने की है। एक साधारण किसान परिवार से निकलकर उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में अपनी जगह बनाना उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, राजनीतिक समझ और अपने समुदाय पर मजबूत पकड़ को दर्शाता है। उनके समर्थक उन्हें गरीबों का मसीहा मानते हैं, तो वहीं आलोचक उन्हें अवसरवादी कहते हैं। लेकिन एक बात तय है – ओम प्रकाश राजभर वो पहेली हैं, जिसे समझे बिना उत्तर प्रदेश की सियासत को समझना नामुमकिन है।

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