Anandiben Patel: कौन हैं आनंदीबेन पटेल? लाल चौक पर तिरंगा फहराने से लेकर UP की राज्यपाल बनने तक का सफर

Published On: August 17, 2025
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Anandiben Patel: कौन हैं आनंदीबेन पटेल? लाल चौक पर तिरंगा फहराने से लेकर UP की राज्यपाल बनने तक का सफर

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Anandiben Patel: भारतीय राजनीति के पटल पर कुछ ही महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने एक शिक्षिका के रूप में अपना सफर शुरू कर देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक के राज्यपाल पद को सुशोभित किया हो। श्रीमती आनंदीबेन मफतभाई पटेल एक ऐसा ही प्रेरणादायक नाम है। वह सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक समर्पित शिक्षिका, एक साहसी समाज-सेविका और गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास रचने वाली एक दृढ़ प्रशासक भी हैं। आइए जानते हैं गुजरात के एक छोटे से गांव से निकलकर उत्तर प्रदेश के राजभवन तक पहुंचने के उनके असाधारण जीवन की पूरी कहानी।

प्रारंभिक जीवन: शिक्षा और वीरता की नींव

21 नवंबर, 1941 को गुजरात के मेहसाणा जिले के विजापुर तालुका के खरोद गांव में जन्मीं आनंदीबेन पटेल की शुरुआती जिंदगी शिक्षा और सेवा के संस्कारों से भरी रही। उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता में एम.एससी और एम.एड (गोल्ड मेडलिस्ट) की डिग्री हासिल की, जो शिक्षा के प्रति उनके गहरे लगाव को दर्शाता है। राजनीति में आने से पहले, उन्होंने अहमदाबाद के मोहिनाबा गर्ल्स हाई स्कूल में एक प्राचार्य के रूप में अपनी सेवाएं दीं और हजारों छात्राओं के भविष्य को आकार दिया।

उनकी वीरता का एक किस्सा आज भी याद किया जाता है। जब वह एक शिक्षिका थीं, तब उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए नर्मदा नदी में डूब रही दो छात्राओं को बचाया, जबकि वह खुद तैरना नहीं जानती थीं। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें गुजरात सरकार द्वारा ‘वीरता पुरस्कार’ से भी नवाजा गया।

राजनीति में प्रवेश और एक अटूट सफर

वर्ष 1987 में आनंदीबेन पटेल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के माध्यम से सक्रिय राजनीति में कदम रखा। अपनी संगठनात्मक क्षमता और नेतृत्व कौशल के बल पर वह जल्द ही भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनीं और फिर प्रदेश इकाई की उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहीं।

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उनका राजनीतिक साहस तब दिखा, जब 1992 में भाजपा द्वारा आयोजित कन्याकुमारी से श्रीनगर तक की ऐतिहासिक ‘एकता यात्रा’ में शामिल होने वाली वह गुजरात की एकमात्र महिला नेता थीं। आतंकवादियों की खुली धमकियों के बावजूद, वह 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर राष्ट्रध्वज फहराने वाली निडर हस्तियों में शामिल थीं।

एक शानदार संसदीय और विधायी करियर

आनंदीबेन पटेल का संसदीय जीवन 1994 में राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने गुजरात की राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी:

  • 1998: मांडल विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुनी गईं और शिक्षा तथा महिला एवं बाल कल्याण मंत्री बनीं।
  • 2002: पाटन से दूसरी बार विधायक बनीं और उस मान्यता को तोड़ा कि गुजरात में शिक्षा मंत्री लगातार चुनाव नहीं जीतते। इस कार्यकाल में उन्होंने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, खेल और युवा गतिविधियों जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले।
  • 2007: पाटन से लगातार तीसरी बार विधायक बनीं और राजस्व, आपदा प्रबंधन, और सड़क एवं भवन जैसे प्रमुख मंत्रालयों का नेतृत्व किया।
  • 2012: अहमदाबाद के घाटलोडिया विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक बनीं और पूरे राज्य में सबसे अधिक वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाया।

गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री: एक ऐतिहासिक अध्याय

22 मई, 2014 का दिन गुजरात के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया, जब आनंदीबेन पटेल ने राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 7 अगस्त, 2016 तक अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई जन-कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं, जिनमें शामिल हैं:

  • माँ वात्सल्य योजना: गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी।
  • युवा स्वावलंबन योजना: सभी वर्गों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की।
  • 100% ODF गुजरात: राज्य को खुले में शौच से मुक्त करने का सफल अभियान चलाया।
  • टोल-टैक्स फ्री गुजरात: गैर-व्यावसायिक वाहनों के लिए राज्य को टोल-टैक्स से मुक्त किया।
  • नर्मदा जल अभियान: खेतों तक नर्मदा का पानी पहुंचाने के लिए नहरों का जाल बिछाने का काम सफलतापूर्वक किया।
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राज्यपाल के रूप में एक नई भूमिका

मुख्यमंत्री पद के बाद भी देश सेवा का उनका सफर जारी रहा। वह 23 जनवरी, 2018 से 29 जुलाई, 2019 तक मध्य प्रदेश की राज्यपाल रहीं। इसके बाद, 29 जुलाई 2019 को उन्होंने भारत के सबसे बड़े राज्य, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल का पद संभाला और वर्तमान में भी इसी पद पर आसीन हैं।

सम्मान और पुरस्कार: उपलब्धियों भरा जीवन

आनंदीबेन पटेल को उनके असाधारण कार्यों के लिए अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • ‘वीर बाला’ पुरस्कार (1958)
  • गुजरात राज्य का ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ पुरस्कार (1988)
  • राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान (1990)
  • सरदार पटेल पुरस्कार (1999)
  • पाटीदार शिरोमणि पुरस्कार (2005)

एक शिक्षिका, एक साहसी महिला, एक कुशल प्रशासक और एक संवेदनशील नेता के रूप में आनंदीबेन पटेल का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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