डेस्क। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 24 अप्रैल को हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus) यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण से जुड़ी एक अजीब सी याचिका पहुंच चुकी है। इस अर्जी को देखकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा भी काफी दंग रह गए हैं। बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए टिप्पणी करी है कि ‘कोर्ट में कैसी-कैसी याचिकाएं आने लगी हैं?’
रेप के बाद पैदा हुए बच्चे की मांगी कस्टडी
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा के सामने रेप के दोषी माता-पिता अर्जी लेकर पहुंचे हैं। उन्होंने अर्जी में रेप के बाद पैदा हुए बच्चे की कस्टडी मांगी थी और इस याचिका को देखकर जस्टिस नरसिम्हा ने सवाल किया, ‘आप कह क्या रहे हैं?’
मांग देख CJI चंद्रचूड़ काफी हैरान हो गए
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने हैरानी जताते हुए कहा है कि, ‘आपका बेटा रेप के मामले में जेल में है और आप चाहते हैं कि वह बच्चा (रेप के बाद पैदा हुआ) आपको सौंप दिया जाए?और हैबियस कॉर्पस लगा दी? बच्चा अपनी मां के पास नहीं होगा तो आखिर किसके पास होगा?’। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यह तो बच्चे के हित पर ही निर्भर करता है।
दलील सुनकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) खिन्न नजर आए और उन्होंने कहा कि कोर्ट में कैसी-कैसी याचिकाएं आ रही हैं। अब इस तरह के मामले में भी हैबियस कॉर्पस लगने लगेगा?
Atiq Ahmed: अतीक के दफ्तर का नजारा देख, दहक गया दिल
जानिए क्या है हैबियस कॉर्पस? What is Habeas Corpus
हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus) लैटिन भाषा का एक पॉपुलर शब्द है। इसका इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति की रिहाई के लिए किया जाता है, जिसे गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया हो या फिर गिरफ्तार किया गया हो। हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus) को हिंदी में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी बोलते हैं।