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भारत में आतंकवाद की नई परिभाषा पर विपक्ष को आपत्ति

 

 

डेस्क। Bharatiya Nyaya (Second) Sanhita Bill 2023: भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की जगह आ रहे नए भारतीय आपराधिक कानून विधेयक के लागू होने के बाद से देश में ‘आतंकवाद’ की परिभाषा का दायरा काफी हद तक बढ़ने वाला है।

भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक (बीएनएसबी), 2023 की धारा 113 या अनलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रिवेंशन ऐक्ट) 1967 के तहत अब एसपी (पुलिस अधीक्षक) या उससे ऊपर के रैंक के अफसरों को इसके इस्तेमाल की इजाजत भी दे दी जाएगी।

‘आर्थिक सुरक्षा’ पर हमला भी ‘आतंकवाद’

नए विधेयक की खास बात तो यह है कि इसमें देश की ‘आर्थिक सुरक्षा’ को भी ‘आतंकवाद’ के दायरे में शामिल किया जा चुका है। बीएनएसबी की धारा 113 के अनुसार, ‘जो भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से या भारत में लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग के बीच या किसी दूसरे देश में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने के संभावित इरादे से कोई कार्य करता है; यदि ऐसे अपराध की वजह से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो तो उसे मृत्युदंड या उम्र कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना पड़ेगा…..।’ इस कानून में देश की ‘आर्थिक सुरक्षा’ को शामिल किया जाना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

इस तरह ‘अपहरण’ भी होगा ‘आतंकवादी’ कृत्य

इस विधेयक में एक और महत्वपूर्ण धारा अपहरण या किसी को जबरन कब्जे में रखने को लेकर भी जोड़ी गई है। इसके तहत अगर किसी व्यक्ति को भारत सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी दूसरे देश की सरकार को प्रभावित करने के लिए अगवा भी किया जाता है या उसे जबरन कब्जे में रखा जाता है तो इस ‘आपराधिक’ कृत्य को भी ‘आतंकवाद’ की श्रेणी में ही रखा जाएगा।

हालांकि, ‘आतंकवाद’ की परिभाषा के दायरे के विस्तार को लेकर विपक्ष की ओर से आपत्तियां जताई गईं हैं। लेकिन, मोदी सरकार का स्टैंड देखने से लगता है कि जल्द ही देश में आपराधिक कानूनों का नया स्वरूप देखने को मिलने वाला है, जिसमें भारतीय समाज की मौजूदा आवश्यकताओं की झलक भी देखने को मिलेगी।

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