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जानिए नए संसद से जुड़ी ये महत्वपूर्ण और रोचक बातें 

 

 

डेस्क। देश को आज नई संसद मिलने वाली है और पीएम नरेंद्र मोदी कुछ ही देर में देश को नई संसद भी सौंपने वाले हैं। इस मौके पर आइए आपको बताते हैं नए संसद भवन से जुड़े 5 महत्वपूर्ण फैक्ट्स।

त्रिकोणीय आकार के चार मंजिला संसद भवन का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्गमीटर है। इस इमारत के तीन मुख्य द्वार- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं। इसमें VIP सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं।

वर्तमान संसद की लोकसभा में जहां मैक्सिमम 552 लोग जबकि सेंट्रल हॉल में 436 लोग ही बैठ सकते थे वहीं लोकसभा में 888 लोगों के बैठने की व्यवस्था भी की गई है। 

राज्यसभा में 384 लोगों के बैठने की व्यवस्था हुई है।

नए संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई और इसमें प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई है, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है। साथ ही हरा पत्थर उदयपुर से, तो अजमेर के पास लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाए गए है।

अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से आई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से मंगाया गया। पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा हुआ था। लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, वहीं नए भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था।

नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा के चरखी दादरी में निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल हुआ है। ‘एम रेत’ एक प्रकार की कृत्रिम रेत होती है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर के बनाया जाता है और जो नदी की रेत से काफी अलग होती है। निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं, जबकि पीतल के काम के लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लाए भी गए थे।

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