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किस तरह बौद्ध से मुस्लिम देश बना मालदीव

 

डेस्क । प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव के नेताओं ने विवादित टिप्पणी की है और उसके बाद से ##BoycottMaldives ट्रेंड काफी जोरो पर है। जिसके चलते बहुत लोगो ने मालदीव यात्रा की योजना भी रद्द कर दी है।

इस देश से सम्बंधित कई चौकाने वाले खुलासे सामने आए है। कुछ का मानना तो ये भी है की ISIS में अधिक संख्या में जुड़ने वाले मालदीवियन्स भी है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की मानें तो वहां के एक शहर में इस्लामिक स्टेट का सेल भी मौजूद है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भी कुछ कार्य करते है उसका विश्व भर पर गहरा असर पड़ता है। पीएम मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हो जब कही कोई भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन होता है। जिसमे कि विश्व के सभी नेता शामिल होते है उन सब में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का एक अलग ही उत्साह होता है। पर कुछ देश के नेताओं को पीएम मोदी इसलिए पसंद नहीं आते क्योंकि मोदी अपने ही देश के पर्यटन को बढ़ावा भी दे रहे है।

प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीप सरकार के तीनों मंत्रियों को निलंबित किया जा चुका है। इसके बाद में भारतीय नागरिकों का क्रोध कम होने का नाम भी नहीं ले रहे है। हालंकि अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए वहां की सरकार निरंतर दोनों देशो के पुराने संबंध और दोस्ती का हवाला दे रही है। इसके पीछे की वजह मालदीव की इकनॉमी को काफी हद तक भारतीय पर्यटकों पर निर्भर है। हर वर्ष लाखों की संख्या में इंडियन वहा छुट्टियां मनाने के लिए जाते है।

मालदीव कट्टरपंथ का गढ़

मालदीव के विषय में अमेरिका ये कह चुका है कि ये सीमा से अधिक चरमपंथी देश है। इस देश के लोग आतंकवादियों के प्रति काफी नरम रुख रहे है। एक वक्त में ये देश बौद्ध आबादी वाला मुल्क हुआ करता था। समय के बदलाव के साथ ही अब ये मुस्लिम बहुल देश बन गया है। आलम ये है की यहां गैर मुस्लिमों को नागरिकता तक नहीं दी जाती। इतिहासकारो के मत की माने तो इसके अनुसार मालदीव के शासक भारत के चोल साम्रज्य से थे। लेकिन कैसे पूरे राष्ट्र इस्लामिक हो गया ? भारतीय शासक मालदीव तक कैसे पहुंचे, इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय है।

ज्यादातर स्कॉलर्स का ये मानना है कि चोल साम्राज्य से भी पहले वहां कलिंग राजा ब्रह्मदित्य का शासन हुआ करता था। ये 9वीं सदी की बात है। इसके बाद राजसी शादियों के जरिए वहां तक चोल वंश पहुंच चुका था। 11वीं सदी में मालदीप पर महाबर्णा अदितेय का शासन रहा, जिसके प्रमाण वहां आज भी शिलालेखों के रूप में मिलते हैं।

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ईसा पूर्व तीसरी सदी में वहां की ज्यादातर आबादी बौद्ध लोगों की थी। हिंदू राजाओं के आने के बाद दोनों ही धर्म एक साथ बढ़ते रहे। इसी के साथ अब भी वहां के 50 से ज्यादा द्वीपों पर बौद्ध स्तूप मिलते हैं और अधिकतर या तो नष्ट हो चुके हैं, या तोड़े जा चुके। आखिरी बौद्ध राजा धोवेमी ने साल 1153 में इस्लाम अपना लिया और उनका नाम पड़ा- मुहम्मद इब्न अब्दुल्ला।

जानिए राजा ने धर्म परिवर्तन क्यों किया

इस द्वीप देश में लंबे समय से अरब व्यापारियों का आना-जाना रहा था। शुरुआत में बात व्यापार तक रही, लेकिन धीरे-धीरे वे अपने धर्म का प्रचार भीं करने लगे। राजा के धर्म परिवर्तन के बाद लगभग सारी आबादी ने मुस्लिम धर्म को अपना लिया और देश का इस्लामीकरण भी हो गया। इस विषय में ‘नोट ऑन द अर्ली हिस्ट्री ऑफ मालदीव्स’ नाम की एक किताब में मिलता है।

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जानिए क्या है धार्मिक स्वतंत्रता

हिंद महासागर में स्थित ये द्वीप देश अब 98 प्रतिशत मुस्लिम है। बाकी के 2 प्रतिशत अन्य धर्म के हैं, लेकिन उन्हें अपने धार्मिक प्रतीकों को मानने या पब्लिक में त्योहार मनाने की छूट नहीं मिली है। यहां तक कि अगर किसी को मालदीव की नागरिकता चाहिए तो उसे मुस्लिम, वो भी सुन्नी मुस्लिम होना पड़ता है। इसी के साथ मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स (MIA) यहां धार्मिक मामलों पर नियंत्रण भी करती है।

गैर-मुसलमान सार्वजनिक तौर पर नहीं कर सकते धार्मिक प्रैक्टिस

वैसे तो ये एक पर्यटन का देश है, पर टूरिस्ट्स को भी यहां अपने धर्म की प्रैक्टिस पर मनाही है साथ ही वे सार्वजनिक जगहों पर पूजा-पाठ नहीं कर सकते।

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अमेरिकी रिपोर्ट ने भी लगाई मुहर यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ने साल 2022 में मालदीव में रिलीजियस फ्रीडम पर एक रिपोर्ट जारी करी की। इसमें ये भी बताया गया कि वहां के द्वीप पर भगवान की मूर्तियां स्थापित करने के जुर्म में तीन भारतीय पर्यटकों को गिरफ्तार किया गया था। देश में लगभग 29 हजार भारतीय रह रहे हैं, पर या तो वे इस्लाम अपना चुके, या फिर अपना आधिकारिक धर्म सबसे छिपाते हैं।

धर्म परिवर्तन पर कड़ा प्रावधान

धर्म बदलने पर कड़ी सजा कट्टरपंथ इतना तगड़ा है कि धर्म परिवर्तन की भी इजाजत नहीं है। कोई भी मुस्लिम नागरिक अपनी मर्जी से दूसरा धर्म नहीं अपना सकता और मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स के तहत इसपर कड़ी सजा मिल सकती है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट यहां तक बताती है कि धर्म परिवर्तन पर शरिया कानून के तहत मौत की सजा भी मिलती है, हालांकि मालदीव सरकार ने कभी इसपर कोई भी सीधा बयान नहीं दिया है।

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