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कोहिनूर वापस लाने की तैयारी में भारत सरकार 

 

डेस्क। Britain-India: हाल ही में ब्रिटेन के ताजपोशी समारोह के दौरान कोहिनूर हीरा काफी चर्चा में आ गया है। क्योंकि रानी कैमिला ने अपने मुकुट में कोहिनूर ​हीरा पहनने से इनकार भी कर दिया था।

ऐसा करके उन्होंने एक राजनयिक विवाद को टाल भी दिया। इसी बीच भारत ने ब्रिटेन से बेशकीमती कोहिनूर हीरा को वापस लाने की कोशिशें भी तेज कर दी हैं। मोदी सरकार ने कोहिनूर हीरा और ब्रिटेन के म्यूजियम में रखी मूर्तियों और औपनिवेशी काल की बहुमूल्य कलाकृतियों को वापस लाने के लिए कमर भी कस ली है।

इन बेशकीमती चीजों को वापस लाने के लिए भारत एक प्रत्यावर्तन अभियान की योजना बना रहा है और शनिवार को एक ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी गई।

 ‘द डेली टेलीग्राफ’ अखबार का दावा है कि यह मुद्दा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताओं में से एक रहा है, जिसके दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और व्यापारिक चर्चा में उठने की संभावना भी है। 

 

यह कहा जाता है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जहां स्वतंत्रता के बाद से देश के बाहर “तस्करी” की गई वस्तुओं को फिर से हासिल करने के लिए भरसक कोशिश भी कर रहा है। साथ ही नई दिल्ली में अधिकारी लंदन में राजनयिकों के साथ कॉर्डिनेट कर रहे हैं ताकि औपनिवेशिक शासन के दौरान “युद्ध की लूट” के रूप में जब्त भी की गईं या उत्साही लोगों द्वारा एकत्र की गईं कलाकृतियों को रखने वाले संस्थानों से इन्हें वापस करने का औपचारिक अनुरोध भी किया जा सकता है। 

समाचार पत्र की रिपोर्ट में बोला गया है, ‘प्रत्यावर्तन का लंबा काम सबसे आसान लक्ष्य, छोटे संग्रहालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के साथ शुरू भी होगा, जो स्वेच्छा से भारतीय कलाकृतियों को सौंपने के इच्छुक भी हो सकते हैं और फिर प्रयास बड़े संस्थानों तथा शाही संग्रहालयों तक किए भी जाएंगे।

‘नयी दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों का यह मानना ​​है कि इस तरह की ऐतिहासिक कलाकृतियां एक मजबूत राष्ट्रीय सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ कर सकती हैं और जैसा कि संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव लिली पांड्या के हवाले से बोला गया है, ‘प्राचीन वस्तुओं का भौतिक और अमूर्त दोनों मूल्य हैं, वे सांस्कृतिक विरासत, सामुदायिकता की निरंतरता और राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा हैं। इन शिल्पकृतियों को लूटकर, आप इस मूल्य को लूट रहे हैं और ज्ञान एवं समुदाय की निरंतरता को तोड़ भी रहे हैं।’

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