डेस्क। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’(The Kashmir Files) इस वक्त फिल्ममेकर नदाव लापिड (Nadav Lapid) के बयान के बाद सुर्खियों में बनी हुई हैं। इसी बीच कश्मीरी पंडितों के एक संगठन का बयान भी सामने आया है।
इसी कड़ी में श्रीनगर में बसे एक कश्मीरी पंडितों के समुह ने कहा है कि राजनीतिक और कमर्शियल फायदे के लिए उनके दर्द को बेचा गया है। वहीं उनका यह भी कहना है कि फिल्म से कश्मीर में रह रहे पंडितों को और भी नुकसान हुआ है।
बता दें इस समिति की ओर से ट्वीट किया गया था, जिसमें लिखा था,“दर्द अपना अर्थ खो देता है और मूल्यहीन भी हो जाता है जब इसे व्यावसायिक और राजनीतिक मान्यताओं और लाभों के लिए बेचा जा रहा है।” इसपर समिति के अध्यक्ष संजय टीकू ने द टेलीग्राफ को यह भी बताया कि यह ट्वीट फिल्म के बारे में था। टीकू ने कहा, “फिल्म और कुछ नहीं हमारे दर्द का व्यावसायीकरण है और हमारे दर्द का राजनीतिकरण भी है।”
इस फिल्म में मुसलमानों का दर्द नहीं दिखाया गया है। वहीं टीकू ने कहा,“फिल्म की घटनाएं 100 फीसदी सच हैं लेकिन इनका पिक्चराइजेशन गलत है। जैसे यह कुछ पंडितों को एक गांव में आतंकवादियों द्वारा मारे जाने को दर्शाता है, जिसमें स्थानीय मुसलमान हत्याओं पर खुशी मना रहे हैं पर ऐसी चीजें यहां कभी नहीं हुईं।” साथ ही उन्होंने आगे कहा कि फिल्म में पंडितों का दर्द दिखाया गया है, लेकिन मुसलमानों का दर्द नहीं।
आगे यह बताया गया है कि फिल्म का नाम ‘द कश्मीर फाइल्स’ है, ‘द कश्मीरी पंडित फाइल्स’ नहीं।” कश्मीर पंडितों के अलावा भी कई लोग यहां मारे गए थे, जिनके बारे में फिल्म में कुछ भी दिखाया नहीं गया।