डेस्क। भारत की तरफ से जी-20 के तहत आयोजित एसएआइ-20 बैठक में अमेरिका व इसके प्रमुख समर्थक देशों की अनुपस्थिति लोगो को काफी चौंकाने वाली रही। जी-20 देशों के सुप्रीम आडिट संस्थानों (SAI) की दो दिनों तक चली बैठक मंगलवार को आखिर समाप्त भी हो गई है।
साथ ही बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, यूरोपीय संघ और कनाडा ने भी हिस्सा नहीं लिया है।
नाटो सदस्यों में सिर्फ इस देश ने ही लिया हिस्सा
नार्थ अटलांटिक ट्रिटी आर्गेनाइजेशन (NATO) के जितने सदस्य जी-20 में हैं, उसमें सिर्फ तुर्किये ने ही हिस्सा लिया है। आधिकारिक तौर पर यह बताया भी गया है कि कई देश दूसरी व्यस्तताओं की वजह से हिस्सा नहीं ले पाये हैं और वैसे इस बैठक में रूस ने हिस्सा लिया है। इन प्रमुख देशों के शामिल नहीं होने के बावजूद एसएआइ-20 ने सितंबर, 2023 में जी-20 की शिखर बैठक के बाद जारी होने वाली रिपोर्ट के जीरो ड्राफ्ट (प्रस्तावना ड्राफ्ट) पर मंजूरी भी बन गई है।
वर्चुअल तरीके से बैठक में शामिल होना चाहते थे ये देश
एसएआइ-20 की बैठक भारत के नियंत्रक व महालेखापरीक्षक (सीएजी) की अगुवाई में हुई है और कई प्रमुख देशों के शामिल नही होने से जुड़े सवाल पर सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मु ने कहा है कि कुछ देश, जिन्हें ब्लू इकोनॉमी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आडिट के क्षेत्र में काम किया है, उन्होंने हिस्सा भी लिया है और अपने अनुभव भी साझा किये हैं। साथ ही कई देश वर्चुअल तरीके से हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन यह बैठक भौतिक तौर पर होनी भी थी। लिहाजा यह संभव भी नहीं हो सका है।
जून में अंतिम ड्राफ्ट के मसौदे पर सहमति
यह पूछे जाने पर कि कई देशों के नहीं आने के बावजूद भी जीरो ड्राफ्ट को किस तरह से अंतिम रूप दिया गया तो उनका जवाब यह था कि जून, 2023 में होने वाली बैठक में अंतिम ड्राफ्ट के मसौदे पर सहमति भीं बनेगी। सीएजी के इस तर्क के बावजूद जी-20 के तहत भारत में पिछले कुछ महीनों मे जितनी बैठकें हुई हैं, उसमें यह पहली बैठक है, जिसमें सबसे कम सदस्य शामिल हुए थे।
जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में सभी देशों ने लिया है हिस्सा
जी-20 के विदेश मंत्रियों की नई दिल्ली में हुई बैठक में सभी सदस्यों ने हिस्सा भी लिया था, और इसकी संयुक्त घोषणा पत्र को जारी करने पर सहमति भी नहीं बन पाई थी। इसके पहले जी-20 के वित्त मंत्रियों की बैठक में भी सहमति नहीं बन सकी और साझा बयान जारी भी नहीं हो पाया था। उक्त दोनो बैठकों में यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और अमेरिका व इसके समर्थक देशों के बीच तनाव बनने की वजह से साझा बयान भी नहीं हो पाया था।
यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकारी आडिट से जुड़ी एजेंसियों के बीच कोई विवाद नहीं होने से सभी देश हिस्सा भी लेंगे।