RBI : नोट छापने का खर्च बढ़ा, RBI रिपोर्ट ने खोला राज

Published On: June 11, 2025
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RBI : नोट छापने का खर्च बढ़ा, RBI रिपोर्ट ने खोला राज

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RBI : अगर आप भी नकदी या कैश का खूब इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। जी हां, आपकी जेब से सीधे जुड़े एक बड़े खर्च का खुलासा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया है। नोट छापने का खर्च पिछले एक साल के भीतर ही करीब 25 प्रतिशत तक बढ़ गया है। यह एक ऐसी वृद्धि है जो सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था और मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी हुई है। RBI रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2024-25 में बैंक नोट की छपाई पर कुल खर्च बढ़कर 6,372.8 करोड़ रुपये हो गया है। जबकि, इससे ठीक एक साल पहले, वित्तवर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 5,101.4 करोड़ रुपये था। यानी, एक ही साल में नोटों की छपाई पर 1,271.4 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। इस वृद्धि के पीछे क्या कारण हैं और इसका आपकी दैनिक जिंदगी पर क्या असर पड़ सकता है, आइए जानते हैं विस्तार से। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस रिपोर्ट में कई और अहम जानकारियां भी साझा की हैं, जिनमें कुछ नोटों की छपाई बंद करने का फैसला भी शामिल है।

आरबीआई रिपोर्ट 2024-25: प्रचलन में मुद्रा का हाल

आरबीआई (RBI) की वित्तवर्ष 2024-25 की सालाना रिपोर्ट कई महत्वपूर्ण बातें बताती है। रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान प्रचलन में मौजूद बैंक नोट का कुल मूल्य 6 फीसदी और उनकी मात्रा (संख्या) 5.6 प्रतिशत बढ़ी है। यह दर्शाता है कि डिजिटल लेनदेन के बढ़ने के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल अभी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

500 रुपये का नोट अभी भी किंग

प्रचलन में मौजूद नोटों में 500 रुपये के बैंक नोट की बादशाहत बरकरार है। मूल्य के हिसाब से, वित्तवर्ष 2024-25 में 500 रुपये के नोट की हिस्सेदारी कुल नोटों में 86 प्रतिशत रही, हालांकि यह पिछले साल से मामूली रूप से कम हुई है। वहीं, मात्रा (संख्या) के हिसाब से देखें तो 500 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी सबसे अधिक 40.9 प्रतिशत रही। इसके बाद, 10 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी 16.4 प्रतिशत रही। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कम मूल्यवर्ग के नोट, जैसे 10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये, की प्रचलन में मौजूद कुल बैंक नोट में संयुक्त हिस्सेदारी 31.7 प्रतिशत रही। यह दिखाता है कि छोटे लेनदेन के लिए ये नोट अभी भी आम जनता के बीच लोकप्रिय हैं।

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₹2000 के नोटों की वापसी और सिक्कों का बढ़ता चलन

भारतीय रिजर्व बैंक ने मई 2023 में ₹2,000 के नोटों को प्रचलन से हटाना शुरू किया था। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और इसमें बड़ी सफलता मिली है। 31 मार्च 2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, बाजार में मौजूद कुल ₹3.56 लाख करोड़ के ₹2,000 के नोटों में से 98.2% बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं। यह कदम काले धन पर लगाम लगाने और नकली नोटों के प्रसार को रोकने के मकसद से उठाया गया था।

इसी बीच, सिक्कों का चलन भी लगातार बढ़ रहा है। वित्तवर्ष 2024-25 में प्रचलन में सिक्कों का कुल मूल्य 9.6% बढ़ा, जबकि उनकी मात्रा 3.6% बढ़ी। यह छोटे लेनदेनों में सिक्कों की बढ़ती स्वीकार्यता का संकेत है। इसके अलावा, डिजिटल इंडिया पहल के तहत लॉन्च की गई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जिसे ई-रुपी भी कहा जाता है, का मूल्य भी इसी अवधि में चौंकाने वाला 334% बढ़ा है। यह डिजिटल मुद्रा के बढ़ते इस्तेमाल और भविष्य की संभावनाओं को दर्शाता है।

वर्तमान में कौन-कौन से नोट और सिक्के चलन में हैं?

वर्तमान में प्रचलन में मौजूद मुद्रा में बैंक नोटकेंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) और सिक्के शामिल हैं। बैंक नोटों की बात करें तो अभी दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये और 500 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट प्रचलन में हैं। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक अब दो रुपये, पांच रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट की छपाई नहीं कर रहा है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में ये नोट धीरे-धीरे चलन से कम होते जाएंगे। सिक्कों के मामले में, 50 पैसे और एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के अभी भी प्रचलन में हैं और इन्हें स्वीकार किया जाता है।

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नकली नोटों का खतरा: 500 रुपये के जाली नोटों में बड़ा उछाल!

जाली नोटों या नकली नोटों का मुद्दा हमेशा से चिंता का विषय रहा है। आरबीआई रिपोर्ट में जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) से जुड़े आंकड़े भी दिए गए हैं। वित्तवर्ष 2024-25 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में जितने भी जाली नोट पकड़े गए, उनमें से 4.7 प्रतिशत भारतीय रिजर्व बैंक के पास पकड़े गए। रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई है: वित्तवर्ष 2024-25 के दौरान 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों की संख्या में कमी आई है, जो एक अच्छी खबर है। लेकिन, चिंता का विषय यह है कि 200 रुपये और 500 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 13.9 और 37.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह बताता है कि नकली नोट छापने वाले अब बड़े मूल्यवर्ग के नोटों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, खासकर 500 रुपये के नोट पर, जिसकी प्रचलन में हिस्सेदारी सबसे अधिक है। यह आम जनता के लिए भी एक चेतावनी है कि कैश लेनदेन करते समय नकली नोटों के प्रति सतर्क रहें।

नोट छापना महंगा क्यों हुआ? जानिए आरबीआई की असली वजह

अब आते हैं सबसे बड़े सवाल पर: आखिर नोट छापने की लागत में 25% की इतनी बड़ी बढ़ोतरी क्यों हुई है? आरबीआई (Reserve Bank Of India) ने इसके पीछे मुख्य कारण बताए हैं। पहला, भारतीय रिजर्व बैंक लगातार बैंक नोटों के लिए नई और उन्नत सुरक्षा विशेषताएं लाने पर काम कर रहा है। इन फीचर्स को शामिल करने से नकली नोटों को पहचानना मुश्किल होता है, लेकिन इनकी लागत काफी अधिक होती है।

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दूसरा बड़ा कारण है बैंक नोट छापने के लिए आवश्यक कच्चे माल का स्वदेशीकरण। पिछले कुछ वर्षों से, आरबीआई विदेशों पर निर्भरता कम करने के लिए नोट छापने के लिए जरूरी सभी प्रमुख कच्चे माल – जैसे बैंक नोट पेपर, विभिन्न प्रकार की स्याही (ऑफसेट, नंबरिंग, इंटैग्लियो, और रंग बदलने वाली इंटैग्लियो स्याही) और अन्य सुरक्षा-संबंधी वस्तुएं – भारत में ही खरीदने पर जोर दे रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि इन सभी कच्चे मालों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

इन दोनों कारणों – उन्नत सुरक्षा प्रणालियों को शामिल करने और स्वदेशी कच्चे माल की बढ़ती कीमतों – ने मिलकर नोट छापने की लागत को काफी बढ़ा दिया है। भले ही स्वदेशीकरण से विदेशी मुद्रा की बचत होती हो, लेकिन घरेलू बाजार में कच्चे माल के दाम बढ़ने से कुल खर्च पर इसका सीधा असर पड़ा है।

भारतीय रिजर्व बैंक की यह रिपोर्ट बताती है कि मुद्रा प्रबंधन एक जटिल और महंगा काम है। नोटों की छपाई पर बढ़ता खर्चनकली नोटों से निपटना, और डिजिटल लेनदेन के साथ नकदी के संतुलन को बनाए रखना, ये सभी आरबीआई के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। प्रचलन में मौजूद मुद्रा का स्वास्थ्य सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। जबकि ₹2,000 के नोटों की वापसी सफल रही है और सिक्कों व ई-रुपी का चलन बढ़ रहा है, 500 रुपये के नकली नोटों में बढ़ोतरी और नोट छापने की लागत में उछाल कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह रिपोर्ट हमें यह भी याद दिलाती है कि आपकी जेब में पड़ा हर नोट कई प्रक्रियाओं और खर्चों से गुजर कर आप तक पहुंचता है। नकदी का समझदारी से इस्तेमाल करना और नकली नोटों से सावधान रहना हम सबकी जिम्मेदारी है।


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