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Join Now8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं और उनकी नजरें एक ही सवाल पर टिकी हैं – 8वें वेतन आयोग का गठन कब होगा? जनवरी 2025 में सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बावजूद, सात महीने का लंबा वक्त बीत चुका है और अभी तक आयोग के गठन की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सरकार ने न तो आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की है और न ही इसकी कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी की है, जिससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स का इंतजार और भी गहरा होता जा रहा है।
इस अभूतपूर्व देरी ने उन लाखों परिवारों में बेचैनी और अनिश्चितता का माहौल बना दिया है, जो अपने वेतन और पेंशन में सम्मानजनक बढ़ोतरी (pension hike) की उम्मीद लगाए बैठे थे। हर कोई अब यह जानना चाहता है कि आखिर आयोग का गठन कब तक होगा और इसका लाभ उन्हें कब से मिलना शुरू होगा।
आखिर 8वें वेतन आयोग के गठन में क्यों हो रही है देरी?
इस देरी के पीछे की वजहों पर वित्त मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है। मंत्रालय का कहना है कि आयोग की सेवा शर्तों (Terms of Reference) को अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और सबसे महत्वपूर्ण, कर्मचारी संगठनों से सुझाव लिए जा रहे हैं। यह एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है, जो इस देरी का मुख्य कारण है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के अनुसार, आयोग की अधिसूचना “उचित समय” पर जारी कर दी जाएगी। हालांकि, सरकारी तंत्र की जटिलताओं और देश के वित्तीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए, यह प्रक्रिया 2026 की शुरुआत तक खिंच सकती है।
तो आखिर कब से लागू होगा आठवां वेतन आयोग?
आधिकारिक तौर पर, सरकार का लक्ष्य 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी 2026 से लागू करना है। यह एक परंपरा रही है कि हर दस साल में एक नए वेतन आयोग का गठन होता है। लेकिन, अगर अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों और पूरी अनुमोदन प्रक्रिया में देरी जारी रहती है, तो इस समयसीमा के आगे खिसकने की पूरी आशंका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह 2027 के अंत या 2028 की शुरुआत तक भी जा सकता है।
फिटमेंट फैक्टर और आपकी सैलरी में संभावित उछाल
कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि उनकी सैलरी कितनी बढ़ेगी। वेतन में संशोधन का आधार बनने वाला फिटमेंट फैक्टर इस बार 1.8 से 2.86 के बीच रहने की उम्मीद है। अगर सरकार कर्मचारियों की मांगों को मानते हुए अधिकतम 2.86 का फॉर्मूला लागू करती है, तो वेतन में एक जबरदस्त उछाल देखने को मिलेगा।
- न्यूनतम मूल वेतन: ₹18,000 से सीधे बढ़कर ₹51,480 हो जाएगा।
- न्यूनतम पेंशन: इसी तरह, पेंशनभोगियों की न्यूनतम पेंशन ₹9,000 से बढ़कर ₹25,740 प्रति माह हो सकती है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नए वेतन आयोग के लागू होते ही महंगाई भत्ता (DA) को शून्य कर दिया जाएगा।
महंगाई भत्ते (DA) का होगा विलय
मौजूदा समय में केंद्रीय कर्मचारियों को 55% महंगाई भत्ता मिल रहा है, जिसके जुलाई 2025 में बढ़कर 58% होने की पूरी संभावना है। आठवें वेतन आयोग (8th pay commission latest news) के लागू होते ही, इस पूरे डीए को कर्मचारियों के मूल वेतन (Basic Pay) में मिला दिया जाएगा। इससे कर्मचारियों का मूल वेतन तो बढ़ जाएगा, लेकिन डीए की नई गणना शून्य से शुरू होगी।
18 महीने के डीए एरियर्स पर असमंजस बरकरार
कोविड-19 महामारी के कठिन दौर में, सरकार ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक 18 महीनों के लिए महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) और महंगाई राहत (DR) के भुगतान को फ्रीज कर दिया था। कर्मचारी यूनियनें लगातार मांग कर रही हैं कि सरकार को इन 18 महीनों के बकाए एरियर का भुगतान करना चाहिए। लेकिन, सरकार का स्पष्ट कहना है कि मौजूदा वित्तीय हालात में ऐसा करना संभव नहीं है, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
कर्मचारी यूनियनों की प्रमुख मांगें क्या हैं?
कर्मचारी संगठन केंद्र सरकार (Central Government) के सामने अपनी कई महत्वपूर्ण मांगें रख चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:
- 8वें वेतन आयोग का तत्काल गठन और अधिसूचना जारी करना।
- बहुप्रतीक्षित पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से बहाल करना।
- केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में खाली पड़े लाखों पदों पर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाना।
- वेतन संशोधन के लिए एक स्वचालित प्रणाली (Automatic Pay Revision System) लागू करना, ताकि हर 10 साल में नए आयोग के गठन की जरूरत ही खत्म हो जाए।
क्या वेतन आयोग की जगह आएगी नई प्रणाली?
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की भी चर्चा है कि सरकार पारंपरिक वेतन आयोग प्रणाली को खत्म करके एक नई व्यवस्था पर विचार कर रही है। इस नई प्रणाली में, वेतन में संशोधन को कर्मचारियों के प्रदर्शन और देश की मुद्रास्फीति दर (Staff performance and inflation rate) से जोड़ा जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह एक क्रांतिकारी कदम होगा और हर 10 साल के लंबे इंतजार की जरूरत खत्म हो जाएगी। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों की उम्मीदों और देश की आर्थिक स्थिरता के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने की है, ताकि देश की आर्थिक नीतियां भी पटरी पर रहें और कर्मचारियों को उनका वाजिब हक भी मिल सके।