ISRO News: हवा की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन को लेकर राजस्थान के केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूओआर) के शोधकर्ताओं ने मानव गतिविधि पर रेगिस्तान की धूल के प्रभाव को लेकर एक अध्ययन शुरू किया है। वहीं यह रिसर्च प्रोजेक्ट भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा वित्त पोषित है।
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आपको यह भी बता दें कि किशनगढ़ स्थित सीयूओआर देश की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी इसरो से अनुसंधान फंड पाने वाला पहला शैक्षणिक संस्थान है। इस विश्वविद्यालय के वायुमंडलीय विज्ञान विभाग नए उपकरणों की तैनाती से यह पता लगाएगा कि आखिर राजस्थान में वायु की गुणवत्ता में गिरावट के चलते होने वाले खतरे को कैसे रोका जा सकता है।
साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति आनंद भालेराव ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू को यह भी बताया कि शोधकर्ता कम मात्रा में मौजूद वायुमंडलीय “ट्रेस गैसों” को मापेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा यह मिशन है कि वायुमंडलीय रसायन विज्ञान में हो रहे बदलावों का अध्ययन अच्छे से किया जाए और वनस्पतियों और जीवों दोनों के लिए हवा की गुणवत्ता में सुधार के उपायों पर भी काम किया जाए।
इसरो ने इस प्रोजेक्ट में पहले साल के लिए 34.70 लाख रुपये के फंड की घोषणा की है। जिसमें अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से वायु गुणवत्ता को समझने का प्रयास होना है।