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Join NowMuslim Population: यूक्रेन युद्ध, पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंध और नाटो (NATO) के विस्तार के बीच रूस (Russia) एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार वजह कोई मिसाइल या परमाणु धमकी नहीं, बल्कि देश के भीतर हो रहा एक ऐसा “जनसांख्यिकीय बदलाव” (Demographic Shift) है, जो रूस के भविष्य की दिशा तय कर सकता है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की मजबूत पकड़ के बावजूद, रूस की सामाजिक और धार्मिक संरचना में एक बड़ी तब्दीली देखी जा रही है।
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हालिया रिपोर्ट्स और रिसर्च बताती हैं कि दुनिया के सबसे बड़े देश में धार्मिक संतुलन (Religious Balance) तेजी से बदल रहा है। प्यू रिसर्च और जनसांख्यिकीय विशेषज्ञों के दावे अगर सही साबित हुए, तो आने वाले कुछ दशकों में रूस का स्वरूप वो नहीं रहेगा जो आज है। आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर मास्को के गलियारों में जनसंख्या को लेकर क्या चर्चा हो रही है।
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रूस में मुस्लिम आबादी: एक नया अध्याय (Russia Muslim Population Statistics)
रूस के भीतर चल रही इस लहर को समझने के लिए आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है।
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कुल आबादी: प्यू रिसर्च और विभिन्न अंतराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक, रूस की वर्तमान जनसंख्या लगभग 14 से 15 करोड़ के बीच है।
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मुस्लिम हिस्सेदारी: सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा मुस्लिम समुदाय का है। रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस की कुल आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी अब 7 से 10 प्रतिशत के करीब पहुंच चुकी है।
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संख्या में: इसका सीधा मतलब है कि रूस में इस वक्त करीब 2.5 करोड़ (25 Million) मुस्लिम नागरिक रह रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि सोवियत संघ के समय से ही रूस में धर्म के आधार पर आधिकारिक जनगणना (Official Census) के आंकड़े पूरी तरह स्पष्ट नहीं होते हैं। लेकिन ट्रेंड यह बता रहा है कि इस्लाम (Islam) रूस में सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म बन गया है।
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क्या अगले 10-15 सालों में ‘इस्लामिक’ हो जाएगा रूस का एक बड़ा हिस्सा?
यह सवाल सुनने में थोड़ा अटपटा और सस्पेंस भरा लग सकता है, लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स ऐसा ही मान रहे हैं।
रूस के धार्मिक मामलों पर नजर रखने वाले नेताओं और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बड़ा दावा किया गया है कि अगले 10 से 15 वर्षों में रूस की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा मुस्लिम हो सकता है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, हालांकि यह अनुमान थोड़ा आक्रामक (Aggressive Estimate) लग सकता है, लेकिन जिस रफ़्तार से डेमोग्राफी बदल रही है, उससे इनकार नहीं किया जा सकता। 2030 और उसके बाद के वर्षों में रूस की सामाजिक पहचान में इस्लाम की भूमिका केंद्रीय हो सकती है।
आखिर क्यों हो रहा है यह बदलाव? (Reasons Behind Population Shift)
रूस की जनसांख्यिकी बदलने के पीछे दो सबसे प्रमुख कारण माने जा रहे हैं:
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सेंट्रल एशिया से जबरदस्त माइग्रेशन (Migration from Central Asia):
रूस में लेबर फोर्स की कमी को पूरा करने के लिए पड़ोसी देशों के लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं। मुख्य रूप से उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान (Uzbekistan, Tajikistan, Kazakhstan) से लाखों लोग रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में मास्को और अन्य रूसी शहरों में बस रहे हैं। ये लोग स्थायी निवासी बन रहे हैं और रूस की डेमोग्राफी में अपना योगदान दे रहे हैं। -
जन्म दर का अंतर (Birth Rate Differences):
रूस के मूल निवासियों (स्लाविक रशियन/ईसाई आबादी) में जन्म दर पिछले कई दशकों से गिर रही है और जनसंख्या सिकुड़ रही है। वहीं, रूस के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों और प्रवासी परिवारों में जन्म दर (Fertility Rate) अपेक्षाकृत अधिक है। यह प्राकृतिक अंतर जनसंख्या के ग्राफ को बदल रहा है।
रूस के वे इलाके जहाँ अब ‘मस्जिदें’ और अजान आम बात है
अगर आप सोचते हैं कि यह बदलाव पूरे रूस में एक जैसा है, तो ऐसा नहीं है। कुछ क्षेत्र पूरी तरह से बदल चुके हैं:
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तातारस्तान (Tatarstan): यह रूस का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जहाँ मुस्लिम संस्कृति बहुत गहरी है।
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चेचन्या और दागेस्तान (Chechnya & Dagestan): ये वो रिपब्लिक हैं जहाँ 90% से ज्यादा आबादी पहले से ही मुस्लिम है।
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मॉस्को (Moscow): सबसे बड़ा बदलाव रूस की राजधानी में दिख रहा है। मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग (St. Petersburg) में प्रवासियों की भीड़ के कारण मुस्लिम आबादी में भारी इजाफा हुआ है।
हिंदुओं की स्थिति और रूस में ईसाई धर्म का भविष्य
जहाँ एक तरफ इस्लाम का ग्राफ ऊपर जा रहा है, वहीं दूसरे धर्मों की स्थिति थोड़ी अलग है:
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ईसाई धर्म (Christianity): रूस अभी भी मुख्य रूप से एक रूढ़िवादी ईसाई (Orthodox Christian) देश है। लगभग आधी आबादी खुद को ईसाई मानती है। लेकिन, ‘लो बर्थ रेट’ और बुजुर्ग होती आबादी (Aging Population) के कारण इनकी हिस्सेदारी धीरे-धीरे प्रतिशत में कम हो रही है।
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हिंदू और बौद्ध समुदाय (Hindu Population in Russia): रूस में हिंदू समुदाय की उपस्थिति बेहद सीमित है। प्रवासी भारतीयों और इस्कॉन (ISKCON) के अनुयायियों के अलावा वहां हिंदू आबादी न के बराबर है। इसी तरह, बौद्ध धर्म मानने वाले लोग भी कुछ ही क्षेत्रों (जैसे काल्मिकिया) तक सीमित हैं।
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नास्तिक और धर्मनिरपेक्ष: सोवियत संघ के कम्युनिस्ट इतिहास के कारण रूस में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो किसी धर्म को नहीं मानता (Atheists/Irreligious)।
2030 तक क्या होगी तस्वीर?
कुछ रिपोर्ट्स 2030 तक रूस में मुस्लिम आबादी के “विस्फोटक” स्तर तक पहुंचने का दावा करती हैं। हालांकि, इसे थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया हो सकता है, लेकिन यह सच है कि रूस अब केवल ‘स्लाविक ईसाइयों’ का देश नहीं रहा। पुतिन की विदेश नीति भी अब इस्लामिक देशों के साथ संबंधों को गहरा कर रही है, जो इस आंतरिक बदलाव का ही एक संकेत हो सकता है। दुनिया की महाशक्ति रूस अब अपनी पहचान के एक नए चौराहे पर खड़ा है।










