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Join NowPitru Paksha : पितृपक्ष… वो 16 दिन जब स्वर्ग के दरवाज़े खुलते हैं और हमारे पूर्वज धरती पर अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं। यह सिर्फ एक कर्मकांड नहीं, बल्कि श्रद्धा, प्रेम और अपनेपन का एक महायज्ञ है। इस दौरान हम जो कुछ भी अपने पितरों को अर्पित करते हैं, वह सीधा उन तक पहुँचता है और वे तृप्त होकर हमें सुख, समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक छोटी सी चूक या पूजा सामग्री में हुई एक मामूली कमी भी आपके द्वारा किए गए पूरे श्राद्ध और तर्पण को निष्फल कर सकती है? अगर पूजा की थाली में एक भी ज़रूरी चीज़ कम रह गई, तो ऐसा माना जाता है कि हमारे पितर अतृप्त और प्यासे ही लौट जाते हैं, जिससे परिवार को पितृ दोष का सामना भी करना पड़ सकता है।
इसलिए, अगर आप इस पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं और उनका भरपूर आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो यह जानना बेहद ज़रूरी है कि श्राद्ध की पूजा सामग्री में क्या-क्या होना चाहिए। आइए जानते हैं श्राद्ध की संपूर्ण सामग्री लिस्ट और हर चीज़ के गहरे आध्यात्मिक महत्व के बारे में।
श्राद्ध की संपूर्ण सामग्री: हर चीज़ में छिपा है एक गहरा रहस्य
यह सिर्फ वस्तुओं की एक सूची नहीं है, बल्कि हर सामग्री का अपना एक विशेष महत्व है जो पितरों तक आपकी भावनाओं को पहुँचाने का माध्यम बनती है।
1. कुश (Kusha Grass) – पितरों का ‘पवित्र आसन’
यह कोई साधारण घास नहीं है। शास्त्रों के अनुसार, कुश को भगवान विष्णु के रोम से उत्पन्न माना गया है। यह परम पवित्र है और माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है। श्राद्ध के दौरान कुश का आसन बनाकर ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है और तर्पण करते समय इसे उंगली में धारण किया जाता है, ताकि आपकी पूजा बिना किसी बाधा के पितरों तक पहुँचे।
2. काले तिल (Black Sesame Seeds) – पितरों का ‘ऊर्जा भोजन’
काले तिल को पितरों का मुख्य भोजन माना गया है। ऐसी मान्यता है कि तर्पण के जल में काले तिल मिलाकर देने से पितरों को असीम ऊर्जा और शांति मिलती है। तिल दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. जौ (Barley) – स्वर्ण के समान पवित्र अन्न
जौ को वेदों में स्वर्ण के समान मूल्यवान और पवित्र माना गया है। पिंडदान में जौ के आटे का प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह पितरों को परम तृप्ति प्रदान करता है।
4. जल और गंगाजल (Water and Gangajal)
जल ही जीवन है और तर्पण का मुख्य आधार है। सादे जल में गंगाजल मिलाकर तर्पण करने से पितरों की आत्मा को पापों से मुक्ति मिलती है और वे मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।
5. दूध, दही, घी, शहद (Milk, Curd, Ghee, Honey)
ये चारों वस्तुएं दिव्य मानी जाती हैं। इनसे न केवल पितरों के लिए भोजन तैयार किया जाता है, बल्कि तर्पण में भी इनका उपयोग होता है। यह पितरों को पोषण और संतुष्टि प्रदान करता है।
6. पिंड (Pind) – शरीर का प्रतीक
चावल या जौ के आटे को गूंथकर बनाए गए गोल पिंड पितरों को अर्पित किए जाते हैं। यह पिंड हमारे पूर्वजों के सूक्ष्म शरीर का प्रतीक है। पिंडदान करने से उनकी आत्मा को भटकने से मुक्ति मिलती है और वे अपने अगले पड़ाव की ओर शांति से प्रस्थान करते हैं।
7. फूल, धूप, दीपक और कपूर (Flowers, Incense, Lamp, Camphor)
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पुष्प (विशेषकर सफेद फूल): यह हमारी श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।
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धूप और दीपक: यह पितरों के मार्ग को प्रकाशित करता है और सुगंध से उनके आगमन का स्वागत किया जाता है।
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कपूर: यह वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मकता को दूर भगाता है।
श्राद्ध की पूरी लिस्ट (एक नज़र में):
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पवित्र वस्तुएं: कुश, काले तिल, जौ।
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तरल पदार्थ: जल, गंगाजल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद।
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अन्न और फल: चावल, गेहूं का आटा (पिंड के लिए), केला, सेब, आदि मौसम के अनुसार फल।
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मिठाई: विशेष रूप से खीर, इसके अलावा मोतीचूर लड्डू या पेड़ा।
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पूजा सामग्री: दीपक, धूप, कपूर, नारियल, सफेद फूल (गेंदा, गुलाब या अपनी पसंद के), माचिस।
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बर्तन और अन्य: पत्तल (या केले का पत्ता), तांबे का लोटा, एक बड़ी थाली या परात।
क्या करें और क्या न करें?
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पितरों का स्मरण: श्राद्ध करते समय अपने ज्ञात और अज्ञात सभी पितरों का मन में स्मरण करें और उनसे पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
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तर्पण और पिंडदान: योग्य ब्राह्मण के मार्गदर्शन में तर्पण और पिंडदान का कर्मकांड अवश्य कराएं।
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ब्राह्मण भोजन: श्राद्ध का भोजन सबसे पहले ब्राह्मण, कौए, गाय और कुत्ते के लिए निकालें, उसके बाद ही परिवार के सदस्य ग्रहण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें यथाशक्ति वस्त्र और दक्षिणा देकर सम्मानपूर्वक विदा करें।
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दान-पुण्य: इस अवधि में किया गया दान सीधे पितरों को प्राप्त होता है। गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान ज़रूर करें।
अपने पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि देकर आप न केवल अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करते हैं, बल्कि उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को भी सुखमय बनाते हैं।