डेस्क। Chanakya Niti। आचार्य चाणक्य भारत के एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, विश्वविद्यालय शिक्षक और धर्मशास्त्री थे वहीं उनकी सीख और उनके उपदेश हमारे जीवन के लिए अत्यंत मूल्यवान भी हैं। यहाँ कुछ चुनिंदा आचार्य चाणक्य की सीख भी दी गई है।
इन श्लोकों में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि इन लोगों से मिलने जाएं तो कभी भी खाली हाथ आपको नहीं जाना चाहिए –
॥ रिक्तहस्तो न राजानमभिगच्छेत् ।।
आचार्य चाणक्य के मुताबिक राजा, देवता अथवा गुरु के पास खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। राजा, देव अथवा गुरु के पास जाते समय व्यक्ति को खाली हाथ नहीं जाना चाहिए और समाज की ऐसी मर्यादा है कि जब कोई व्यक्ति किसी महापुरुष के पास जाता है तो कुछ- न कुछ भेंट करने के लिए अवश्य अपने साथ ले भी जाता है। वर्तमान समाज की परंपरा है कि देश के किसी बड़े नेता अथवा सज्जन पुरुष के सम्मान के लिए उसके पास पहुंचकर उनको पुष्प भेंट किए जाते हैं।
॥ गुरुं च दैवं च ॥
आचार्य चाणक्य के मुताबिक गुरु और देवता के पास भी खाली हाथ कभी नहीं जाना चाहिए। इस श्लोक में भी आचार्य चाणक्य ने बोला है कि गुरु मनुष्य को विद्या दान देता है और देवताओं के कारण धर्म में आस्था भी पैदा होती है। इसलिए इनके पास जाते समय भी श्रद्धा और भक्ति सूचक उपहार लेकर ही जाना होता है।
॥ कुटुम्बिनो भेतव्यम् ॥
चाणक्य के मुताबिक राजा के परिवार से संबंध रखने वाले व्यक्तियों से डरकर ही रहना चाहिए और आचार्य चाणक्य के मुताबिक राजा के परिवार से संबद्ध लोगों का सत्कार करना चाहिए। वहीं कभी ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे वे नाराज होकर द्वेष रखने लगें।
॥ गन्तव्यं च सदा राजकुलम् ॥
आचार्य चाणक्य के मुताबिक राजदरबार में सदैव जाते रहना चाहिए और राजपरिवार अथवा राज्य दरबार में जाते रहने अथवा राज्य कुल के व्यक्तियों से मिलते रहने से प्रजा के हित के लिए किए जाने वाले कार्यों से व्यक्ति परिचित रहता है। साथ ही इसी प्रकार वह उनसे लाभ भी उठा सकता है।