डेस्क। हिंदू धर्म में रावण को बुराई का सबसे बड़ा प्रतीक माना गया है। हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर विजयादशमी के दिन रावण का पुतला जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत को मनाया जाता है। रावण दहन का मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो जाएगा, जो कि शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहने वाला है।
इस साल विजयादशमी का त्योहार 12 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा है। इस मौके पर देशभर में कई जगहों पर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है और इसके साथ ही विजयादशमी पर अलग-अलग जगहों पर रामलीला का आयोजन भी होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध भी किया था।
हिंदू धर्म में दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यही वजह है कि हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर रावण का पुतला जलाया जाता है।
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दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी जलाए जाते हैं। देशभर में आज धूमधाम से दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। दशहरा के मद्देनजर सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्त किए गए हैं।
बता दें रावण दहन का मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो जाएगा, जो कि शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। वहीं देश के विभिन्न राज्यों में जगह-जगह पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी लगाए गए हैं।
दिल्ली में 211 फुट ऊंचा पुतला
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के द्वारका में 211 फुट ऊंचा रावण का पुतला बना है। इसको बनाने में 40 कारीगरों को चार महीने का समय लगा। हरियाणा के बरारा गांव के कारीगरों ने इसे बनाया है और इसको बनाने में 30 लाख रुपये की लागत आई है।
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रामलीला समिति के अध्यक्ष राजेश गहलोत की माने तो, “यह रावण का अब तक का सबसे ऊंचा पुतला है, जिसकी ऊंचाई 211 फुट की है। इसे मखमली कपड़े से सजाया गया है जिसको लोहे से बनाया गया है। इसको 40 कारीगरों की टीम ने चार महीने में बनाया है।” समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हर साल की तरह इस भव्य आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। समिति 14 साल से रावण दहन के कार्यक्रम का आयोजन करती आ रही है।
वहीं, लव कुश रामलीला में 120 फुट का रावण का पुतला बनाया गया है और समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने बोला है कि 120 फुट का रावण का पुतला बनाने में करीब दो महीने का समय लग गया। कुमार ने ये बताया कि रावण, कुंभकर्ण (रावण का छोटा भाई, 110 फुट) और मेघनाद (रावण का सबसे बड़ा पुत्र, 100 फुट) के पुतलों का निर्माण उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के 18 कारीगरों के द्वारा किया गया है।