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उड़ीसा रेल हादसा

डेस्क रिपोर्ट:
ओडिशा ट्रेन दुर्घटना पर सियासी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन किसी को इस का दुख नही हैं बस सब अपनी राजनीति चमकाने पर तुले हुए हैं तथा वही किसी ने अब तक यह नही कहा कि इसकी जिम्मेदारी मेरी हैं और में इस पद से इस्तीफा दे रहा हूँ। सत्ता हो या विपक्ष सब की सरकार में रेल हादसा हुए और जांच के नाम पर सिर्फ समय ही खराब किया गया यह भी उल्लेखनीय है! जिसका इन हाथों में मरता है उनको भी इस दर्द का एहसास होता है कि उसने क्या खोया है किसी परिवार का मुखिया होता है तो किसी परिवार का सबसे लाडला बच्चा या बेटी या भाई या बहन बस उस दर्द को उन्ही का परिवार समझ सकता हैं।
ज्यादातर देखा जाता हैं कि देश में बड़ी-बड़ी घटनाओं-दुर्घटनाओं में बड़ी मछली बच जाती है और छोटे कर्मचारियों को दंडित कर इतिश्री कर दिया जाता है! किसी भी विभाग को देखने के लिए प्रशासनिक स्तर पर पिरामिड आकर की व्यवस्था है उच्च स्तर पर प्रबंधन और मंत्रालय होता है किसी भी कार्य की उपलब्धि का श्रेय सरकार लेती है।
मंत्री फीता काटते हैं झंडी दिखाते हैं फिर नाकामी पर कोई जिम्मेवारी क्यों नहीं लेता है।जिम्मेवारी लेना नैतिकता की तकाजा है!लालबहादुर शास्त्री से लेकर अन्य राजनेता तक अपनी नैतिकता के आधार पर त्याग पत्र दे चुके हैं लेकिन आज के जमाने में किसी नेता से नैतिकता की उम्मीद करना भी बेमानी है।ओड़ीशा की रेल दुर्घटना में अब तक कई बातें सामने आ रही हैं।इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम के जरिए ट्रेन का ट्रैक तय किया जाता है।
इस व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि किसी भी ट्रेन को तब तक आगे बढ़ने का संकेत नहीं दिया जाता जब तक आगे का मार्ग सुरक्षित न हो जाए।रेल मंत्री ने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है!जबकि इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग के दौरान जो बदलाव हुए उसके कारण यह हादसा हुआ। यह किसने किया और कैसे हुआ इसका पता उचित जांच के बाद लगेगा और इस हादसे की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

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