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5 सालों में यूपी हुईं गैंगस्टर्स से फ्री

 

 

डेस्क। Mukhtar Ansari Death: माफिया डॉन मुख्‍तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक आने से मौत हो गई।

बता दें यूपी पुलिस ने एनकाउंटर के दौरान जिन बड़े गैंगस्‍टर को मौत के घाट उतारा उनमें विकास दूबे से मुन्‍ना बजरंगी तक के कई बड़े-बड़े नाम शामिल हैं।

 माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार को बांदा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई और वो हत्‍या, लूट, डकैती जैसे एक दो नहीं बल्कि कुल 65 मामलों में आरोपी था। हालांकि एक सच यह भी है कि मुख्‍तार अंसारी जैसे एक दर्जन से भी अधिक गैंगस्‍टर की बीते पांच सालों में या तो मौत हो गई या फिर वो सलाखों के पीछे हैं।

 ये कहना गलत नहीं होगा कि उत्‍तर प्रदेश में बीते पांच सालों में माफिया राज पूरी तरह से खत्‍म हो चुका है। यूपी पुलिस ने एनकाउंटर के दौरान जिन बड़े गैंगस्‍टर को मौत के घाट उतारा उनमें विकास दूबे, मुन्‍ना बजरंगी, अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ भी शामिल हैं।

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आपको याद होगा विकास दुबे ने उस वक्‍त पुलिस टीम पर गोलियां बरसा दी थी जब वो उसे घर से गिरफ्तार करने पहुंचे थे। जिसके बाद में उज्‍जैन से उसे पकड़कर वापस उत्‍तर प्रदेश लाया जा रहा था और इस दौरान भागने के प्रयास में उसका पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया।

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 अतिक और उसके भाई अशरफ अहमद की बात की जाए तो अस्‍पताल में मेडिकल कराने के लिए पुलिस टीम उन्‍हें इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज ले गई थी और परिसर में ही अज्ञात लोगों ने दोनों भाईयों की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई थी।

अतिक का बेटा असद झांसी में पुलिस एनकाउंटर के दौरान मारा गया और उसपर 5 लाख का ईनाम भी घोषित था। अगर मुन्‍ना बजरंगी की बात करें तो बागपत जेल में सुबह 4 बजे उसे पुलिस द्वारा लाया गा था. और करीब एक घंटे बाद सुबह 5 बजे जेल परिसर में ही उसकी हत्‍या हो गई थी।

मुख्तार ने हाल ही में ये दावा किया था कि उसे धीमा जहर देकर मारने की कोशिश की जा रही है। बता दें मुख्तार अंसारी पुत्र सुभानल्लाह उम लगभग 63 वर्ष को जेल कार्मिकों द्वारा रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज, बांदा के आकस्मिक विभाग में उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में लाया गया था।

मरीज को नौ डॉक्टरों की टीम ने द्वारा तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई गई पर भरसक प्रयासों के बावजूद कार्डियक अरेस्ट के कारण मरीज की मृत्यु हो गई।

जेल सूत्रों की माने तो, जेल में मुख्तार की तबीयत पर नजर बनाए रखने के लिए तीन डॉक्टरों का पैनल बनाया गया था वहीं उसकी सेहत में सुधार नहीं होने और हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे दोबारा मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट भी किया था।

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