सुप्रीम कोर्ट– चुनाव आयोग ने हेट स्पीच के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि जो दल हेट स्पीच करते हैं। उनकी मान्याता रद्द करने का चुनाव आयोग के पास अधिकार नही है। आयोग ने यह बात उस हलफनामे पर कही जो चुनाव के दौरान नफरती भाषण और अफवाहों के परिपेक्ष्य में दायर था।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, चुनाव के दौरान नफरती भाषण और अफवाह फैलाने पर विशेष कानून के अभाव में उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) व जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को लागू करना होता है। आयोग ने भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर कहा है कि वह राजनेताओं और उनके एजेंटों के उन भाषणों पर नजर रखता है। जो नफरत को बढ़ावा देते हैं।
जो धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर समुदायों के बीच शत्रुता या घृणा को पैदा करते हैं। चुनाव की घोषणा के बाद और प्रक्रिया पूरी होने तक सियासी दलों व उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए ‘आदर्श आचार संहिता’ और ‘क्या करें और क्या न करें’ पहले ही जारी है।
चुनाव आयोग ने आगे कहा, स्पष्ट है कि मतदाताओं से जाति या सांप्रदायिक आधार पर कोई अपील नहीं होनी चाहिए। विभिन्न जातियों, समुदायों, धार्मिक, भाषाई समूहों के बीच तनाव भी पैदा न हो। वही जब कभी इस तरह के मामले सामने आते हैं तो चुनाव आयोग सम्बंधित व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करता है और उनसे उनकी प्रतिक्रिया पर जवाब मांगता है।
चुनाव आयोग ने इस परिदृश्य में आगे कहा, चुनाव आयोग ने बताया, 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार विधि आयोग ने इस मुद्दे की जांच की, क्या चुनाव आयोग को सियासी दल या उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति दी जानी चाहिए।