Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचिनी एकादशी तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

Published On: March 16, 2025
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Papmochani Ekadashi 2025

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Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचिनी एकादशी 2025 का व्रत 25 मार्च को रखा जाएगा। जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और व्रत पारण का समय। यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाने वाला है।

पापमोचिनी एकादशी कब है?

पापमोचिनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। 2025 में यह एकादशी 25 मार्च को पड़ रही है।

📅 एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 मार्च 2025, सुबह 05:05 बजे
📅 एकादशी तिथि समाप्त: 26 मार्च 2025, सुबह 03:45 बजे

यह वर्ष की अंतिम एकादशी मानी जाती है और इसका धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है।


पापमोचिनी एकादशी का पूजा मुहूर्त

इस पावन दिन पर भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

🕉️ पूजा का शुभ मुहूर्त:
📍 सुबह: 9:22 बजे से
📍 दोपहर: 1:57 बजे तक

इस दौरान भगवान श्रीहरि को तुलसी, पीले फूल, पंचामृत और फल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।


व्रत पारण का समय

एकादशी व्रत के अगले दिन द्वादशी को पारण किया जाता है।

📆 व्रत पारण तिथि: 26 मार्च 2025
🕛 पारण का शुभ समय: दोपहर 01:39 बजे से शाम 04:06 बजे तक

🔹 ध्यान दें: व्रत पारण तभी करें जब हरि वासर समाप्त हो जाए, जो इस दिन सुबह 09:01 बजे समाप्त होगा।


पापमोचिनी एकादशी का महत्व

🔸 पापों से मुक्ति:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से ब्रह्म हत्या जैसे गंभीर पापों से भी मुक्ति मिलती है।

🔸 श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया व्रत:
भगवान श्रीकृष्ण ने इस एकादशी के महत्व को अर्जुन को बताया था और कहा था कि जो भी इस दिन सच्चे मन से व्रत और उपवास करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

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🔸 धन-समृद्धि और सुख-शांति:
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से घर में धन, सुख और समृद्धि का वास होता है।

🔸 कर्मों का शुद्धिकरण:
जो लोग लोभ, लालच और अन्य सांसारिक मोह में फंसकर गलत कार्य कर लेते हैं, वे इस व्रत के माध्यम से अपने पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं।


पापमोचिनी एकादशी की पूजा विधि

🌸 कैसे करें व्रत और पूजा?

स्नान और संकल्प:
सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान या शुद्ध जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु की पूजा:
📿 श्रीहरि को तुलसी दल, पीले फूल, धूप, दीप, और पंचामृत अर्पित करें।
📖 विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
🍛 फलाहार करें और एक समय ही सात्विक भोजन लें।

रात्रि जागरण:
इस दिन रात्रि जागरण करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

भजन-कीर्तन:
भगवान विष्णु के कीर्तन और भजन करें।

दान-पुण्य:
गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।


पौराणिक कथा: पापमोचिनी एकादशी व्रत की कथा

📖 एक समय च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि घोर तपस्या में लीन थे। इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए अप्सरा मंजुघोषा को भेजा।

💃 मंजुघोषा ने अपनी सुंदरता से ऋषि को मोहित कर दिया और वे कई वर्षों तक मोह में फंसे रहे।

🙏 कुछ समय बाद, उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और वे भगवान विष्णु के पास प्रायश्चित करने पहुंचे।

🔱 भगवान विष्णु ने उन्हें पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।

🌿 इस व्रत को करने से ऋषि के सारे पाप धुल गए और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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पापमोचिनी एकादशी का आध्यात्मिक लाभ

✔️ जीवन में सकारात्मकता आती है।
✔️ मानसिक शांति और आत्मशुद्धि होती है।
✔️ पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।
✔️ भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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