Mansa Devi Temple: जहां हर मुराद होती है पूरी, उस मनसा देवी मंदिर का रहस्य

Published On: July 27, 2025
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Mansa Devi Temple: जहां हर मुराद होती है पूरी, उस मनसा देवी मंदिर का रहस्य

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Mansa Devi Temple: देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित विश्व प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार की सुबह हुई भयानक भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दिल दहला देने वाली घटना में 6 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रशासन के अनुसार, मंदिर में अप्रत्याशित रूप से जमा हुई अत्यधिक भीड़ के कारण यह दुखद हादसा हुआ।

लेकिन इस मातम के बीच एक सवाल हर किसी के मन में है – आखिर क्या है इस मंदिर की मान्यता? क्यों यहाँ लाखों श्रद्धालु अपनी जान की परवाह किए बिना, हर मुश्किल को पार कर माँ के दर्शन के लिए खिंचे चले आते हैं? आइए, जानते हैं उस मनसा देवी मंदिर के गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के बारे में, जो आज अपनी सबसे दुखद घटना का गवाह बना है।


मनसा देवी मंदिर का महत्व: हर इच्छा पूरी करने वाली देवी का धाम

हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर हिमालय की मनोरम शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बिल्वा पर्वत की चोटी पर स्थित है। हरिद्वार शहर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है और इसे देश के 51 शक्तिपीठों में से एक होने का गौरव प्राप्त है।

मनसा देवी मंदिर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह मंदिर मुख्य रूप से भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर का नाम ही ‘मनसा’ शब्द से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘मन की इच्छा’। यह एक अटूट और सदियों पुरानी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे और पवित्र मन से इस मंदिर में आकर माँ के दिव्य स्वरूप के दर्शन करता है और अपनी इच्छा व्यक्त करता है, माँ मनसा देवी उसकी हर मनोकामना को निश्चित रूप से पूरा करती हैं।

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कौन हैं माँ मनसा? क्यों होती है उनकी पूजा?

हरिद्वार स्थित इस पावन धाम में माता मनसा देवी की पूजा की जाती है, जिन्हें आदिशक्ति माँ दुर्गा का ही एक शक्तिशाली रूप माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मनसा देवी का प्रादुर्भाव (जन्म) भगवान शिव के मन (मस्तक) से हुआ था, और इसी कारण उन्हें ‘मनसा’ कहा जाता है। कुछ कथाओं में उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री भी माना गया है।

यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, और यहाँ तक पहुँचने के लिए पैदल रास्ते के साथ-साथ रोपवे (उड़नखटोले) की सुविधा भी उपलब्ध है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी है। यह मान्यता इतनी प्रबल है कि देश-विदेश से श्रद्धालु अपनी मुरादें लेकर यहाँ आते हैं और झोली भरकर लौटते हैं।


शक्तिपीठ के रूप में मनसा देवी मंदिर का महत्व: जहाँ गिरा था माँ का मस्तिष्क

मनसा देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जो इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण और पवित्र बना देता है। शक्तिपीठ वे स्थान हैं जहाँ माता सती के अंग गिरे थे।

  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक मान्यता यह है कि यह वह पवित्र स्थान है जहाँ समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं।
  • वहीं, सबसे प्रबल मान्यता के अनुसार, यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहाँ माता सती का मस्तिष्क (मन) गिरा था, जिसके कारण इसे मनसा शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त हुआ।

पेड़ पर एक धागा और पूरी होती है हर मुराद

इस मंदिर की सबसे खास और अनूठी परंपरा है पवित्र वृक्ष पर धागा बांधना। भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर परिसर में मौजूद एक अति-प्राचीन और पवित्र वृक्ष पर एक पवित्र धागा (मौली) बांधते हैं और माँ से अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह कच्चा धागा भक्त के विश्वास और देवी के आशीर्वाद के बीच एक अटूट सेतु बन जाता है।

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जब उनकी वह मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वे दोबारा मंदिर आकर उस धागे को खोलते हैं और माँ का धन्यवाद और आभार प्रकट करते हैं। यह परंपरा माँ के प्रति भक्तों की अगाध और गहरी आस्था को दर्शाती है और बताती है कि कैसे एक छोटे से विश्वास से बड़ी से बड़ी इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं।

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